हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तंबाकू सेवन छोड़ने में लोगों की मदद करने के इरादे से साल भर तक चलने वाले ‘धूमपान छोड़ने के लिए संकल्प लें’ नामक एक वैश्विक अभियान शुरू किया है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत नीति निर्माण, धूमपान छोड़ने में सहायता मुहैया कराने वाली सुविधाओं और सेवाओं की आसान उपलब्धता, तंबाकू उद्योग की चालबाजियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तंबाकू सेवन करने वालों को ये हानिकारक आदत छोड़ने के लिए सशक्त बनाने की कोशिश की जाएगी।
देश में झारखंड सरकार ने भी अपने यहां तंबाकू के सेवन पर लगाम लगाने के लिए अनूठा प्रयास शुरू किया है। राज्य में सरकारी नौकरी करने वालों को अब तंबाकू सेवन नहीं करने का शपत्र पत्र देना होगा। एक अप्रैल से इसे अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। नियुक्ति पत्र प्राप्त करने से पहले सभी अभ्यíथयों को यह शपथ पत्र देना होगा। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार तंबाकू सेवन करने वालों की लगभग आधी संख्या मौत के मुंह में चली जाती है और यह संख्या हर वर्ष लगभग 82 लाख होती है। इनमें से 70 लाख मौतें तंबाकू सेवन का प्रत्यक्ष नतीजा होती हैं, जबकि 12 लाख मौतें तंबाकू सेवन करने वालों के संपर्क में रहने से होती हैं। इनमें से भी करीब 80 फीसद मौतें गरीब देशों में होती हैं। सर्वविदित है कि धूमपान सांस संबंधी अनेक बीमारियों का मुख्य कारण होता है। तंबाकू सेवन के मामले में पहला स्थान चीन का है। दूसरे नंबर पर भारत आता है। इसके कारण ही भारत में हर साल करीब 10 लाख लोगों की जान चली जाती है। इससे होने वाले रोगों के कारण भारत के सालाना डेढ़ लाख करोड़ रुपये बर्बाद होते हैं।
भारत में तंबाकू का सेवन कई रूपों में किया जाता है। बीड़ी-सिगरेट, हुक्के के अलावा गुटखा, खैनी के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ग्लोबल टोबैको सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 35 फीसद वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं और इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। अपराध रिकॉर्डस ब्यूरो के अनुसार हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि 73.5 प्रतिशत वारदातों में नशे के सेवन करने वालों की भागादारी होती है। दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में तो यह दर 87 प्रतिशत तक पहुंची हुई है। अपराध जगत की क्रियाकलापों पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है, उसकी पूíत यह नशा करता है। इन हालातों में हमें तंबाकू सेवन को रोकने के लिए वैश्विक मुहिम में सहभागिता करने के साथ ही झारखंड की तरह स्थानीय स्तर पर भी प्रयास करने होंगे। तभी हम तंबाकू मुक्त समाज और देश का निर्माण कर सकेंगे।