केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में राज्य सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के छह लाख गरीबों को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था। राज्य सरकार ने मात्र 1.20 लाख आवास बनाने का निर्णय लिया है। इस प्रकार 4.80 लाख आवासहीन सुविधा का लाभ नहीं ले पाएंगे। पीएम आवास योजना में केंद्र सरकार 60 फीसद और राज्य सरकार का हिस्सा 40 फीसद का रहता है। बीते दो वर्ष की छत्तीसगढ़ सरकार ने पीएम आवास के करीब एक हजार करोड़ रुपये जमा नहीं कराए हैं। खाली खजाने का असर महत्वाकांक्षी योजना में दिखाई दे रहा है।
छह लाख गरीबों को आवास मुहैया कराने का था लक्ष्य
राज्य सरकार के खाली खजाने के साथ ही केंद्र और राज्य के बीच खटास होते राजनीतिक रिश्तों का असर अब प्रधानमंत्री आवास योजना में दिखाई देने लगा है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2021-2022 के लिए छह लाख गरीबों को आवास मुहैया कराने का लक्ष्य राज्य शासन को दिया है। राज्य शासन ने इतनी बड़ी संख्या में आवास बनाने से अपना हाथ खींच लिया है। एक लाख 20 हजार आवास बनाने की सहमति जताई है।
चार लाख 80 हजार गरीबों को नहीं मिल पाएगा आशियाना
शासन के इस रवैए से प्रदेश के चार लाख 80 हजार ऐसे गरीब जिनके सिर पर छत नहीं है उन्हें आशियाना नहीं मिल पाएगा। राज्य सरकार के खाली खजाने का असर अब केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना पर दिखाई देने लगा है। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य शासन की अरुचि भी सामने आ रही है। राज्य शासन ने बीते वर्ष के अपने हिस्से के तकरीबन एक हजार करोड़ पये अब तक जमा नहीं कराया है। इसके चलते हितग्राहियों का आवास पूरा नहीं हो पा रहा है। अकेले बिलासपुर जिले में पीएम आवास योजना पर नजर डालें तो 25 हजार ऐसे गरीब हैं जिनका आशियाना अधूरा है। राज्य शासन द्वारा राशि उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण आवास खंडहर में तब्दील होने लगा है।
हितग्राही को मिलते हैं एक लाख 20 हजार
केंद्र पोषित योजना के तहत पीएम आवास योजना के एक हितग्राही को अपना आशियाना बनाने के लिए एक लाख 20 हजार पये शासन द्वारा दिया जाता है। योजना के अनुसार हितग्राही अपना आवास खुद बनाते हैं। इसके लिए उन्हें मनरेगा फंड से 16 हजार रुपये पारिश्रमिक दिए जाते हैं।
फंड के अभाव में हितग्राहियों के आवास अधूरे
पीएम आवास के लिए राज्य शासन द्वारा निर्धारित किए जाने वाले लक्ष्य के अनुसार निर्माण किया जाता है। फंड के अभाव में हितग्राहियों के आवास अधूरे हैं। राज्य शासन से फंड जारी करते ही हितग्राहियों को किस्त की राशि दी जाएगी।