जी हां, तीखे तेवर, सीधी बात या यू कहे बिना लागलपेट के जनहित के लिए एक के बाद ताबड़तोड़ फैसले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में चार चांद लगा रहे हैं। चाहे माफियाओं के खिलाफ बुल्डोजर अभियान हो, या कुंभ से लेकर श्रीराम मंदिर निर्माण या मूलभूत व आधारभूत विकास या फिल्म इंडस्ट्री लगाने जैसे अहम् फैसले, सबकुछ जनता के मुताबिक हो रहे हैं। लेकिन ज्योतिषियों की मानें तो कुडंली में बन रहे कई अहम योग के चलते तमाम संघर्षों के बावजूद योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा और सम्मान में निरंतर वृद्धि होगी। मतलब साफ है कि 2021 में योगी की लोकप्रियता और बढ़ेगी।
फिलहाल, साल 2020 वैसा नहीं रहा, जैसा इसके बारे में सोचा गया। कोरोना वायरस समेत कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे यह साल काफी हादसों से भरा रहा। लोग अपने घरों में बंद रहे। मुंह पर मास्क और घूमने पर पाबंदी ने मेंटल हेल्थ इश्यू भी पैदा किया। नुक्कड़ की चाय के साथ होने वाली बहस भी बंद हो गई। यह अलग बात है कि सालों साल पुराना श्रीराम मंदिर मसला खत्म हो गया। पीएम मोदी के हाथों मंदिर निर्माण भी शुरु हो गया। हालांकि, इन सबके बीच इंटरनेट की दुनिया पूरी तरह से बदल गई। सिनेमाघर बंद हुए, तो फिल्में ऑनलाइन हो गईं। इस दौर में चर्चा भी ऑनलाइन हो गई। बहुत कुछ ऐसा आया, जिसने लोगों को हंसाया। बहुत कुछ ऐसा भी रहा है जो भावुकता को समेटे रहा। लेकिन सोशल मीडिया वायरल, फीवर बनके चढ़ता रहा। खुशी इस बात की है कि इस आपाधापी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमजनमानस के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे।
चाहे वो कोरोनाकाल के दौरान प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के बड़े से लेकर छोटे अधिकारी रहे हो या प्रमुख मंत्री हर रोज बैठक दर बैठक कर सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही अस्पतालों में इलाज कैसा चल रहा है, का भी हाल जानते रहे। फिक्र इतना कि कभी यह पूछ लेते अमुक मोहल्ले में बिना मतलब बैरिकेडिंग क्यों कर दी गई तो कभी यह भी पूछ लेते हैं कि आगरा एक्सप्रेस वे से आ रहे प्रवासियों के लिए अमुक राहत केंद्र में सब्जी कौन सी बना रहे हो यानी पूरी के साथ कद्दू देते हो या नहीं? इतनी सोच प्रश्नोत्तरी का ही परिणाम है कि सर्वाधिक जनसंख्या वाला यूपी कोरोना प्रबंधन में आगे की कतार में दिख रहा है। देश में कोरोना पॉजिटिव होने की दर अन्य राज्यों की अपेक्षा 3.0 फीसदी के मुकाबले 1.3 है। योगी के दखल के बाद जिलों में डीएम और सीएमओ रोज दो बैठकर करने लगे। जब सरकारी अस्पतालों के विभिन्न विभागों में समन्वय की कमी होती है तब योगी ने इंटीग्रेटेड को विद कमांड सेंटर एंड कंट्रोल रूम बनवाए।
इस बीच बिहार विधानसभा चुनाव और हैदराबाद नगर निगम के चुनाव आ गए। जिस तरह से इन दोनों स्थानों पर योगी के दौरे लगवाए गए, वह उनके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। हैदराबाद भाजपा के हालिया गुलदस्ते का सबसे खूबसूरत फूल है और इसका श्रेय भाजपा के चुनाव प्रबंधन के साथ योगी के तेवरों और उनके भाषणों की शैली को जाता है। उनकी अपनी एक लाइन है जिस पर वीरता से रहते हैं उनके लिए एक पसंद बना रही है। खास बात यह है कि इन संकटों में भी उनके ग्रह नक्षत्र साथ रहे। कर्म स्थान में सूर्य के साथ धन और लाभ भाव के स्वामी बुध बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। यहां सप्तमेश शुक्र और एकादश बुध बेहतरीन परिवर्तन राजयोग का निर्माण भी कर रहे हैं। यही उनकी सफलता का प्रमुख कारण है। बता दें, योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के गढ़वाल में 5 जून, 1972 को दोपहर 12 बजे हुआ था। उनकी कुंडली सिंह लग्न की है और लग्नेश सूर्य पूर्ण दिगबली होकर दशम भाव यानी कर्म स्थान में विराजमान में हैं। जहां सूर्य, सप्तमेश शनि के साथ पाराशरी राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।
हालांकि सूर्य की शनि के साथ स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती, इसीलिए इस योग के चलते उनके जीवन में पारिवारिक और दाम्पत्य सुख का अभाव रहा। वर्तमान में उनकी केतु में राहु की अंतर्दशा चल रही है, जो जनवरी, 2020 में शुरू हुई थी और फरवरी, 2021 तक चलेगी। कुंडली में राहु छठे भाव में मकर राशि में मजबूत होकर विराजमान हैं। छठे भाव में राहु अपराधियों पर शासन यानी उन्हें दबाकर रखता है। यही वजह है कि केतु में राहु की अंतर्दशा के दौरान, उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर सख्ती, एनकाउंटर और उनकी संपत्तियों की नीलामी जैसी घटनाएं देखने को मिलीं। कुल मिलाकर, अपराधियों के प्रति उनकी सख्ती आगे भी जारी रहेगी। केतु में बृहस्पति की अंतर्दशा फरवरी, 2021 से जनवरी, 2022 तक चलेगी। बृहस्पतिकुंडली में अपनी ही धनु राशि यानी पंचम भाव में है, जो सत्ता और अधिकार का भाव भी है। हालांकि, बृहस्पति वक्री स्थिति में हैं, इसलिए उनके कई फैसले नए विवाद छेड़ सकते हैं। इस दौरान विपक्षी दल भी उनकी परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं चढ़ेंगे।
2021 में शनि और बृहस्पति का गोचर वर्ष के ज्यादातर हिस्से में योगी आदित्यनाथ की कुंडली के छठे भाव में रहेगा। स्पष्ट है कि अपने विरोधियों को शांत करने केलिए इस साल उन्हें खासी मेहनत करनी पड़ेगी। हालांकि, अप्रैल से सितंबर में सप्तम भाव में गोचर के दौरान वह महिलाओं, गरीबों और वंचित तबकों के हित में कई अहम फैसले ले सकते हैं, जो उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने में सहायक होंगे। यानी वर्ष 2021 में संघर्ष के साथ वह आगे बढ़ेंगे। जहां जक उनकी कार्यके कार्यशैली का सवाल है तो योगी ने न सिर्फ अयोध्या-मथुरा-काशी पर फोकस किया बल्कि दूसरे कई मसलों पर कड़ाई से एक्शन लिया जिसे हिंदुत्व के एजेंडे से ही जोड़कर देखा गया। उनकी छवि शुरू से हिंदूवादी नेता की रही है। यूपी की बागडोर संभालने के बाद भी उनकी यह छवि बदली नहीं है। चाहें वो आजम खान का मामला हो या फिर सीएए या फिर मुख्तार, अतीक, विजय मिश्रा जैसे माफिया के खिलाफ बुलडोजर अभियान हो या फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और वहां दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की प्रतिमा लगाए जाने की तैयारी।
हर साल अयोध्या में सरयू के तट पर पांच लाख दीयों को प्रज्जवलित कर भव्य दिवाली मनाई जा रही है, जिसमें सीएम खुद पूरी कैबिनेट के साथ शामिल होते हैं। मथुरा में जाकर जन्माष्टमी और होली योगी मनाते हैं। इसके अलावा अयोध्या को दुनिया की सबसे हाईटेक सिटी बनाने के साथ ही बाबा विश्वनाथ धाम व चित्रकूट को सजाया संवारा जा रहा है। काशी के विकास की सीएम योगी खुद निगरानी कर रहे हैं। सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई तोड़फोड़ का हर्जाना भी योगी सरकार प्रदर्शनकारियों से ही वसूली, जिसकी सराहना पूरे देश ने की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा है कि जो कोई भी कानून का मजाक उड़ाएगा, वह अंजाम भुगतेगा। योगी सरकार सूबे भर में कांवड़ियों पर एक तरफ मेहरबान नजर आई तो दूसरी तरफ सावन के महीने में कांवड़ियों के रूट पर मांस की बिक्री पर रोक लगाने का काम किया। कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने का काम योगी सरकार के राज में हुआ है। कांवाड़ियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरे से लेकर एंटी टेररिस्ट स्क्कॉड से निगरानी करने का काम योगी सरकार ने कराया। इसके अलावा स्लॉटर हाउस पर योगी सरकार ने ताला लगा दिया था। इतना ही नहीं योगी सरकार ने गौ-हत्या पर कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है। खास यह है कि 5 कालीदास मार्ग, यूपी के मुख्यमंत्री का वह आवास जहां 2017 से पहले होती थीं सिर्फ़ रोज़ा इफ़्तार और ईद की दावतें, अब उसी आवास पर योगीजी की देखरेख में मनाया जाता नवरात्र, गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के 4 बच्चों की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के रुप में मनाया जाता है।