स्वर्ग तो नहीं, लेकिन उसके जैसा दिखे, इसकी हर संभावनाएं खोजी जा रही है। योगी वो सभी सुविधाएं देना चाहते है, जो उसे तीर्थनगरी के साथ-साथ वर्ल्ड क्लास की सीटी का दर्जा प्रदान करे। 2023 में राम मंदिर बनने से पहले पूरे होंगे सभी प्रोजेक्ट। इनमें प्रतीकात्मक राम सेतु के साथ 100 एकड़ का थीम पार्क भी शामिल है। पर्यटकों को मानव निर्मित झील के सहारे ’शबरी गार्डन’ से ’अशोक वाटिका’ तक ले जाएगा। सरयू नदी को साफ करने पर 600 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। 2021 में अयोध्या में श्रीराम एयरपोर्ट पर पहली कमर्शियल फ्लाइट लैंड कराने की तैयारी
-सुरेश गांधी
वाराणसी। भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या को उसकी पहचान के मुताबिक का शहर बसाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर संभव कोशिश में जुट गए है। लाखों-करोड़ों देशी-विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी से पहले योगी आयोध्या को स्वर्ग तो नहीं, लेकिन उसके जैसा दिखे, इसके लिए हर संभावनाएं खोजी जा रही है। अयोध्या में योगी वो सभी सुविधाएं देना चाहते है, जो उसे तीर्थनगरी के साथ-साथ वर्ल्ड क्लास की सीटी का दर्जा प्रदान करें। अयोध्या पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र बने इसके लिए दमकती सड़के, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, रोप-वे सहित कई प्रोजेक्ट पर युद्धस्तर पर काम शुरु हो गया है। इसके अलावा 347 गांवों को मिलाकर 1200 एकड़ में इंटीग्रेटेड सिटी का निर्माण भी होने लगा है। खास बात यह है कि योगी सरकार 2023 में राम मंदिर बनने से पहले इन्हें पूरा कर लेना चाहती है। इनमें प्रतीकात्मक राम सेतु के साथ 100 एकड़ का थीम पार्क भी शामिल है। योग और ध्यान के केंद्र के तौर भी अयोध्या को सबसे अनोखा नगर बनाने की तैयारी है।
वैसे भी भारत की प्राचीन नगरियों में से एक है अयोध्या। इसका जिक्र हिन्दू पौराणिक इतिहास में भी है। भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में अयोध्या को प्रथम स्थान पर रखा गया है। अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका में शामिल किया गया है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है। इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द ’अ’ कार ब्रह्मा, ’य’ कार विष्णु है तथा ’ध’ कार रुद्र का स्वरूप है। अयोध्या में कई महान योद्धा, ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं। भगवान राम ने भी यहीं जन्म लिया था। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या की गणना जैन परंपरा के अनुसार भी 24 तीर्थंकरों में से 22 इक्ष्वाकु वंश के थे। इन 24 तीर्थंकरों में से भी सर्वप्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभदेव जी) के साथ चार अन्य तीर्थंकरों का जन्मस्थान भी अयोध्या ही है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था।
इन्हीं पौराणिक महत्वों को ध्यान में रखकर अयोध्या का विकास कराया जा रहा है। आने वाले पर्यटकों को मानव निर्मित झील के सहारे ’शबरी गार्डन’ से ’अशोक वाटिका’ तक ले जाएगा। भगवान राम की जिंदगी पर अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय लोकार्पण के लिए तैयार है। एयरपोर्ट और भगवान राम की प्रतिमा बनाने का काम तेजी से पूरा करने के लिए 640 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। शहर को खूबसूरत बनाने के मकसद से सरयू नदी को साफ करने पर 600 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। 2021 में अयोध्या में श्रीराम एयरपोर्ट पर पहली कमर्शियल फ्लाइट लैंड कराने की तैयारी हैं। इस प्रोजेक्ट के खातिर जमीन अधिग्रहण करने के वास्ते पहले ही 526 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा के लिए जमीन अधिग्रहण और टेक्निकल स्टडी की लागत 647 करोड़ रुपये है। इसमें से 227 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
रोप वे कर सकेंगे राम लला के दर्शन
अयोध्या में राम मंदिर को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन को रोप-वे जोड़ने की योजना तैयार है। इसके लिए 1200 करोड़ की परियोजना का निर्माण पर्यटन विभाग करायेगा। श्रद्धालु रोप वे के रास्ते सीधे राम लला के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पहुंच सकेंगे। इस काम को स्विट्जरलैंड की कंपनी को ठेका दिया गया है। शहर में थीम पार्क 100 एकड़ में बन रहा है। इसमें रामायण की झांकी दिखेगी। इसमें अयोध्या और लंका दोनों की झलक मिलेगी।
सोलर एनर्जी की प्रधानता रहेगी
अयोध्या पर्यावरण की दृष्टि से भी दुनिया के सामने मिसाल बने, इसका खास ख्याल रखा गया है। यहां की बिजली व्यवस्था में सोलर एनर्जी की प्रधानता रहेगी। ग्रीन लैंडस्केप मंदिर के आसपास बड़े इलाके में बनाए जाएंगे, जिस पर वैदिक रामायण और वैदिक आर्किटेक्चर होंगे। 1200 एकड़ की इंटीग्रेटेड अयोध्या वैदिक सिटी बनाने के लिए शुरुआत में 1200 करोड़ रुपए का प्रस्ताव है। अयोध्या का दायरा बढ़ाकर उसमें 347 नए गांव जोड़े जा रहे हैं जो बस्ती और गोंडा से मिलाए जा रहे हैं। इसके अलावा नगर के पुराने मंदिरों और पुरातात्विक महत्व के स्थानों को संरक्षित किया जा रहा है। ऐसे स्थानों में मणिपर्वत भी शामिल है। मान्यता है कि यहां सीता जी का दहेज रखा गया।
ग्लोबल कंसल्टेंट की नियुक्ति होगी
डीएम अनुज झां की माने तो वैदिक सीटी बनाने के लिए ग्लोबल कंसल्टेंट की नियुक्ति होगी। इसके लिए योगी सरकार की ओर से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट का टेंडर भी निकाल दिया गया है। राम की पैड़ी का रिवरफ्रंट लगभग तैयार है। जबकि गुप्तार घाट से लेकर पूरी अयोध्या के किनारे सरयू के घाट तैयार किए जा रहे हैं। अयोध्या में एग्जिबिशन, रामलीला, पार्किंग और दूसरे संत सम्मेलनों के लिए बड़ी-बड़ी जगह भी निकाली जाएंगी। चौरासी कोस का परिक्रमा मार्ग भी अलग तरीके से विकसित किया जाएगा। मान्यता हैं कि इसके भीतर पूरी अयोध्या समाती है। हनुमानगढ़ी से सुग्रीव गुफा काफी पास है। मणि पर्वत से सुग्रीव गुफा तक रोपवे बनाने की भी योजना है। बिरला मंदिर को भी बेहतर तरीके से संजोने का प्लान है।