पश्चिमी उत्तर प्रदेश को बेहद गमगीन करने वाले मुजफ्फरनगर दंगा केस पर करीब सात वर्ष बाद राजनीति फिर गरमा गई है। मुजफ्फरनगर दंगा में योगी आदित्यनाथ सरकार में दो मंत्रियों तथा भाजपा विधायक के खिलाफ में दर्ज सभी केस वापस होने की प्रक्रिया के बीच में ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया है। इसमें मायावती ने सभी के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश सरकार के तीन लोगों के खिलाफ केस वापस लेने के फैसले ने प्रदेश के सियासी पारे को बढ़ा दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने अब दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने की मांग की है। मायावती ने साफ कहा है कि सरकार जिस तरह से भाजपा नेताओं पर दर्ज केस वापस ले रही है, उसी तरह से सभी के खिलाफ दर्ज केस वापस ले। बसपा की मुखिया मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट करके अपनी यह मांग रखी है। मायावती ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के लोगों के ऊपर राजनैतिक द्वेष की भावना से दर्ज मुकदमे वापिस होने के साथ ही, सभी विपक्षी पाॢटयो के लोगों पर भी ऐसे दर्ज मुकदमे भी जरूर वापिस होने चाहिए। मुजफ्फनगर दंगों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने काफी अहम फैसला किया है। सरकारी वकील ने कोर्ट में अर्जी देकर योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल तथा फायरब्रांड विधायक संगीत सोम के खिलाफ केस वापस लेने की अपील की है।
मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने के मामले में सुरेश राणा, संगीत सोम और कपिलदेव अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन तीनों नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी, तोडफ़ोड़ की धाराएं लगाई गई थी। गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में सात सितंबर 2013 में नंगला मंदौड़ में महापंचायत हुई थी। यह महापंचायत मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद बुलाई गई थी। अब आरोप है कि इस महापंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में दंगा भड़क गया था। मुजफ्फरनगर दंगों में 65 लोगों की मौत हुई थी और मुजफ्फरनगर के साथ ही शामली व बागपत में बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर चले गए थे।