राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण ही सच्ची राष्ट्र सेवा: निधी त्रिपाठी

नागपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण को सच्ची राष्ट्रसेवा करार दिया है। अभाविप के 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने नागपुर पहुंची निधि ने बताया कि राष्ट्र निर्माण किसी एक व्यक्ती या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें सभी का समान रूप से योगदान होना बेहद जरूरी है। राष्ट्र निर्माण के प्रति सर्मपण भाव ही सच्ची राष्ट्रसेवा है। निधि ने कहा कि राष्ट्र जैसे छोटे से शब्द में विशाल असीमित और बहुआयामी अर्थ और कर्तव्यबोध का सार समाहित है। राष्ट्र प्रगति के लिए हर व्यक्ती ने सकारात्मक सोच के साथ अपना योगदान देना आवश्यक है। बतौर निधि हमारे देश का आदर हो तो इस देश में जन्मे व्यक्ति को भी दुनिया आदरणीय कहेगी। राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि किसी भी राष्ट्र की प्रगती में उसमे रहने वाले युवाओं का योगदान बेहद जरूरी होता है। चरित्र संपन्न युवाओं के कंधो पर ही राष्ट्र खड़ा होता है। नजीतन राष्ट्रनिर्माण के पहले चरित्र निर्माण बेहद जरूरी है।

बतौर निधि युवाओं में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करने में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की भूमिका अहम है। अपने कथक को विस्तारपूर्वक समझाते हुए निधी ने बताया कि एबीवीपी की ओर से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय अधिवेशन में समाज सेवा में संलग्न प्रतिभावान युवा को प्रो यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। मौजूदा वर्ष में ‘सततकृषि पहल’ हेतु बिहार के वैशाली जिले के मनीष कुमार (बैक टू विलेज) का इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा प्राप्त करने वाले मनीष कुमार और उनके जैसे युवा राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। समाज की ओर से ऐसे युवाओं का अभिनंदन करने के लिए एबीवीपी की ओर से ऐसे पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इस अवसर पर निधि ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के शीघ्र क्रियान्वयन की मांग की। निजी स्कुलों की स्वायत्तता पर उन्होंने जोर दिया। निधि ने बताया कि अभाविप सुलभ और सस्ती शिक्षा की पक्षधर है जिसके चलते संगठन की ओर से कर्नाटक में बंद हो चुके सरकारी स्कूलों को दोबारा शुरू करवाया गया।

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