तीन वर्षों में केन्द्र से मान्यता-प्राप्त 3400 से अधिक स्टार्टअप्स की हुई स्थापना
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में व्यवसाय में सुगमता (ईज़ आॅफ डूइंग बिज़नेस) में अभूतपूर्व सुधार का सकारात्मक प्रभाव स्टार्टअप सेक्टर पर भी पड़ा है। प्रदेश में स्टार्टअप्स की संख्या में निरन्तर वृद्धि के साथ गत् तीन वर्षों में उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डी.पी.आई.आई.टी.), भारत सरकार से मान्यता प्राप्त 3406 स्टार्टअप्स की स्थापना हुई है। उ.प्र. आईटी एवं स्टार्टअप नीति-2017 तथा राज्य की नवीन स्टार्टअप नीति-2020 के सुचारू कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप प्रदेश में विकसित हो रहे उत्तम स्टार्टअप इकोसिस्टम का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री एवं मंत्री, आईटी एवं इलेक्ट्राॅनिक्स, डाॅ दिनेश शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार एक सुदृढ़ बुनियादी ढांचे का विकास तथा अनुकूल नीतिगत् वातावरण प्रदान करके राज्य में विश्वस्तरीय स्टार्टअप इकोसिस्टम स्थापित कर रही है। मंत्री ने कहा कि इससे रोज़गार सृजन तो हो ही रहा है, नवाचार (इनोवेशन) व उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा तथा राज्य की अर्थव्यवस्था एवं युवाओं के सशक्तिकरण में योगदान होगा।
अपर मुख्य सचिव, आईटी एवं इलेक्टाॅनिक्स, आलोक कुमार ने बताया कि गत् एक वर्ष में दिसम्बर 2019 से दिसम्बर 2020 तक कोविड-19 आपदा के बावजूद 773 स्टार्टअप्स की स्थापना हुई है तथा गत् दो वर्षों में आईटी एवं स्टार्टअप नीति-2017 के अन्तर्गत 17 इन्क्यूबेटर्स के अतिरिक्त नवीन स्टार्टअप नीति-2020 के तहत इन्क्यूबेटर्स की स्थापना हेतु 07 प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया है, जिसमें राजकीय इन्जीनियरिंग कालेज बांदा में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पहले इन्क्यूबेटर सहित बीएचयू, वाराणसी में अटल इन्क्यूबेशन सेन्टर, नोएडा में नैसकाॅम 10000 स्टार्टअप वेयरहाउस, लखनऊ में जयपुरिया इन्क्यूबेटर एवं महर्षि सेन्टर फाॅर इन्टरप्रेन्योर डेवलपमेण्ट, मथुरा में स्टार्टअप लाॅन्चपैड, जी.एल.ए. यूनिवर्सिटी, गाजियाबाद में कृष्णा इन्जीनियरिंग कालेज सम्मिलित हैं। नई स्टार्टअप नीति में गैर-आइटी क्षेत्रों में भी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एम.एस.एम.ई., खादी, कृषि शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, उच्च/प्राविधिक शिक्षा आदि प्रदेश के प्रमुख विभागों के अन्तर्गत आने वाले संस्थानों, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में स्टार्टअप ईकोसिस्टम विकसित किए जाने हेतु 117 इन्क्यूबेटर्स की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आलोक कुमार ने बताया कि नवीन स्टार्टअप नीति-2020 के अन्तर्गत् राज्य में तीन स्टेट-आॅफ-आर्ट सेंटर आॅफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे, जिसमें से मेडिकल इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर में संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल सांइसेज़ (एस.जी.पी.जी.आई.एम.एस.) लखनऊ में साॅफ्टवेयर टेक्नोलाॅजी पाक्र्स आॅफ इण्डिया, भारत सरकार के सहयोग से पहला उत्कृष्टता का केन्द्र (सेंटर आॅफ एक्सीलेंस) स्थापित किया जा रहा है, जिसके शीघ्र संचालित होने की संभावना है। दूसरा उत्कृष्टता का केन्द्र आर्टिफिशिएल इन्टेलीजेन्स के क्षेत्र में आईआईटी कानपुर तथा फिक्की के सहयोग से नोएडा में विकसित किया जा रहा है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि स्टार्टअप नीति-2020 के अन्तर्गत अनुदान प्राप्त करने हेतु स्टार्टअप्स के आवेदनों के अनुमोदन हेतु एक मूल्यांकन समिति गठित की गई है, जिसमें आईआईटी-कानपुर; अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय-लखनऊ; आईआईएम-लखनऊ; एसटीपीआई-लखनऊ, आईआईटी-बीएचयू; के.आई.ई.टी. गाजियाबाद एवं सिडबी द्वारा नामित विशेषज्ञ प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।
उत्तर प्रदेश में स्थापित होने वाले स्टार्टअप्स के रजिस्ट्रेशन हेतु www.startinup.up.gov.in पोर्टल की व्यवस्था की गई है, इसके माध्यम से स्टार्टअप्स द्वारा वित्तीय प्रोत्साहनों हेतु आवेदन किए जाएंगे तथा इस पोर्टल के माध्यम से ही सभी स्वीकृतियां निर्गत की जाएंगी। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में उ.प्र. आईटी एवं स्टार्ट-अप नीति-2017 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा इन्क्यूबेटर्स एवं स्टार्टअप्स को 41.60 लाख रुपये की प्रोत्साहन धनराशि प्रदान कर दी गई है तथा शीघ्र ही 41.41 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद कुल 83 लाख रुपये की धनराशि की सहायता इन्क्यूबेटर्स एवं स्टार्टअप्स को इस वित्तीय वर्ष में वितरित कर दी जाएगी। भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डी.पी.आई.आई.टी.) द्वारा सितम्बर 2020 में जारी राज्यों की स्टार्ट अप रैंकिंग-2020 में उत्तर प्रदेश को ’इमर्जिंग स्टार्टअप ईकोसिस्टम’ की श्रेणी में स्थान मिला है।