कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pandemic) को लेकर अमेरिका ने एक बार चीन को घेरा है। वायरस के प्रसार को लेकर चीन से पारदर्शिता की मांग करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है। साथ ही कहा आरोप लगाया है कि चीन, वुहान में घातक वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की जांच में बाधा डाल रहा है। बीमारी के बारे में पता लगने के बाद संदिग्ध टीकों को बेचने की कोशिश कर रहा रहा है।
बता दें कि अमेरिका कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां अब तक एक करोड़ 74 लाख से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और इनमें से तीन लाख 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने शुक्रवार को कहा कि बीमारी के बारे में दुनिया को जानकारी मिलने के लगभग एक साल बाद अभी भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी वायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रही है और इसकी उत्पत्ति को लेकर डब्लूएचओ की जांच में बाधा डाल रही है।
पोंपियो ने कहा चीन ऐसे टीकों को बेचने की कोशिश कर रहा है, जिसकी प्रभावकारिता और सुरक्षा को लेकर डेटा का अभाव है। इनके क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही की उपेक्षा की गई है। यह चीनी नागरिकों के साथ-साथ दुनिया के लिए खतरनाक है।
पोंपियो ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों को महामारी की उत्पत्ति और प्रसार को लेकर चीन से पारदर्शिता की मांग करनी चाहिए, जिसके कारण अभी तक दस लाख से अधिक लोगों की जान चली गई है और लाखों आजीविका बर्बाद हो गई है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो स्वास्थ्य संकट को लेकर चीन का रिकॉर्ड इस बात का संकेत है कि भविष्य में यहां एक और महामारी पैदा हो सकती है।
पोंपियो ने आरोप लगाया चीन ने उन बहादुर चीनी वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और पत्रकारों को दंडित किया, जिन्होंने दुनिया को इस वायरस के खतरों के प्रति सचेत करने की कोशिश की। बता दे कि चीन ने कोरोना पर पोंपियो के बयानों के राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज करता रहा है।