कोरोना संक्रमण काल में भी उत्तर प्रदेश को बेहद चर्चा में लाने वाले हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मृत्यु के मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने लम्बी पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है।
हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव के बेहद चर्चित कांड में सीबीआइ ने शुक्रवार को आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। सीबीआइ की टीम की ओर से जांच अधिकारी सीमा पाहूजा ने चार्जशीट दाखिल की। इस केस में पीड़िता के भाई की ओर से ही एफआईआर दर्ज कराई गई थी। हाथरस मामले में दाखिल चार्जशीट में चारों आरोपितों के खिलाफ सीबीआइ ने सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, छेड़छाड़ और एससी-एसटी की धारा में केस बनाया है। अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंडीर ने बताया कि चारों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।
सीबीआई ने चार्जशीट में इस मामले में चारों आरोपितों को सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, छेड़छाड़ तथा एससी-एसटी एक्ट का आरोपित माना है। इस मामले में सीबीआइ संदीप, लवकुश, रवि व रामू के खिलाफ दो महीने से पड़ताल कर रही थी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने केस सीबीआई को जांच के लिए सौंपा था, जिसकी सीबीआई बीते दो महीने से जांच में जुटी थी। सीबीआई ने हाथरस में सक्षम न्यायालय में संदीप, लवकुश, रवि व रामू के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। सीबीआई ने 11 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर और भारत सरकार से आगे की अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था।
गांव से पीड़िता के भाई और भाभी को भी कोर्ट लाया गया। इनको लेकर सीआरपीएफ गांव में उनके घर से निकली । इससे पहले हाथरस में सीबीआई के कैम्प कार्यालय पर ताला लगा था। टीम के सदस्य गाजियाबाद से सीधा हाथरस पहुंचे। सीबीआई ने दो दिन पहले हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई के दौरान 18 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल करने की बात कही थी।
इस मामले की जांच कर रही सीबीआई पीड़िता के भाई को फरेंसिक साइकलॉजिकल टेस्ट के लिए गुजरात के गांधीनगर लेकर जाएगी। यहां उसका साइकलॉजिकल असेस्मेंट कराया जाएगा। हाथरस कांड में पीड़िता के भाई की ओर से ही एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
बूलगढ़ी कांड के चारों आरोपितों के गांधीनगर में पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है। इसके साथ ही जांच एजेंसी ने बूलगढ़ी गांव में सीन रीक्रिएशन करने के साथ ही यहां पर हर स्तर की पड़ताल कर चुकी है। सीबीआइ गांव में मृतका के भाई और घटना स्थल वाले खेत के मालिक का पॉलीग्राफ कराने के प्रयास में है। अभी तक दोनों इंकार कर रहे हैं।
सीबीआई पीड़िता के भाई को फरेंसिक साइकलॉजिकल टेस्ट के लिए गुजरात लेकर जाएगी। यहां उसका साइकलॉजिकल असेस्मेंट कराया जाएगा। साइकलॉजिकल असेस्टेंट (मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन) में शिकायतकर्ता / अभियुक्तों को विभिन्न काल्पनिक स्थितियों के साथ मामले से संबंधित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रश्न किए जाते हैं। इस दौरान उनकी प्रतिक्रियाएं रेकॉर्ड की जाती हैं। इन सभी प्रतिक्रियाओं के आधार पर मनोवैज्ञानिक पहलुओं, लक्षणों और उद्देश्यों को नापते है।