हाल की एक खबर कहती है कि मार्च में जब इक्विटी मार्केट तेजी से गिर रहा था तो निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में बड़े पैमाने पर निवेश किया। नवंबर में जब बाजार अप्रत्याशित ऊंचाई पर था तो निवेशकों ने रकम निकाल ली। खबर यह बताती है कि बाजार में निवेशकों की टाइमिंग सही थी। जब बाजार में तेज गिरावट का दौर था तब उन्होंने निवेश किया और नवंबर में निवेश बेच दिया। क्या ये निवेशक काफी स्मार्ट थे?
सुनने में यह कहानी काफी अच्छी लगती है। दुर्भाग्य से यह सच नहीं है। इस कहानी में यह मान लिया गया है कि मार्च में निवेश करने वाले और नवंबर में निवेश बेच देने वाले निवेशक एक ही हैं। मैं बहुत से निवेशकों और इंवेस्टमेंट प्रोफेशनल्स के संपर्क में हूं। इसलिए मुझे पता है कि नवंबर में निवेश बेचने वाले निवेशक वही नहीं थे जो मार्च में निवेश के लिए उत्साहित थे। वास्तविकता यह है कि नवंबर की कहानी में वे निवेशक शामिल हैं जो इस बात का इंतजार कर रहे थे कि उनके नुकसान की भरपाई हो जाए और फिर वे निवेश बेचकर बाजार से निकल जाएं।
लगभग सभी नए और बहुत से पुराने निवेशक अक्सर निवेश करते हैं, निवेश की वैल्यू गिर जाती और उनका रिटर्न नकारात्मक हो जाता है। अब उनको लगता है कि अगर इस समय निवेश बेचते हैं तो उनको नुकसान होगा और यह एक तरह से हार स्वीकार करने जैसा होगा। ऐसे में उन्होंने महसूस किया कि उनको निवेश तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि नुकसान की भरपाई न हो जाए और इस स्तर पर पहुंचने के बाद निवेश बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक आम सोच है और यह बहुत से संगठनों की आधिकारिक निवेश नीति में भी दिखती है।
किसी भी समय बाजार में बड़ी संख्या में ऐसे म्यूचुअल फंड निवेशक होते हैं, जो बाजार की एक पूरी साइकिल यानी चक्र से नहीं गुजरे होते हैं। बाजार की पूरी साइकिल का मतलब है कि बाजार कमजोर होने के साथ नेट असेट वैल्यू यानी कीमतों में गिरावट आना और फिर रिकवरी होना। ऐसे में जब बाजार में तेज गिरावट आई तो ऐसे निवेशक डर गए। इसका कारण यह था कि उस समय सारे संकेत यही कह रहे थे कि गिरावट का यह दौर लंबा चलेगा। ऐसे में वे सभी भाग्यशाली थे कि गिरावट का दौर जल्दी बीत गया। नवंबर और दिसंबर में ज्यादातर इक्विटी फंड उस स्तर से ऊपर थे जहां से उन्होंने साल की शुरुआत की थी। यह उन स्मार्ट निवेशकों के लिए बहुत अच्छा है, जिन्होंने अपनी एसआइपी जारी रखी। बाजार में गिरावट का सिर्फ यह मतलब था कि वे उन महीनों मे कम कीमत में यूनिट खरीद पाए।
हालांकि, उन नए निवेशकों का क्या जिन्होंने खुद को किसी तरह से बचाया। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निवेश में नफा-नुकसान की गणना में गलतफहमी का नतीजा है। निवेश में व्यक्तिगत नहीं, समूचा इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो मायने रखता है। हालांकि, यह मायने रखता है कि एक व्यक्तिगत निवेश अच्छा है या बुरा। अगर यह बुरा निवेश है और किसी वजह से आपके लिए सही नहीं है तो इंतजार क्यों करना। आपको इससे तुरंत छुटकारा पाना चाहिए। इसमें मुनाफा कमाने के स्तर तक पहुंचने के लिए इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है। इससे बेहतर है कि अपनी रकम को जल्द से जल्द अच्छे निवेश में लगाएं। निवेश की शिक्षा के लिहाज से यह बेहद अहम है। कुछ निवेशक इस बात को समझ पाते हैं, लेकिन ऐसा वे अक्सर खराब अनुभव के बाद ही कर पाते हैं।