कालीन निर्यातकों को अब ‘रॉडटेप’ के तहत मिलेगी टैक्स छूट

मकसद है निर्यातकों को अधिक राजस्व प्रोत्साहन से जोड़ने और निर्यात दर में वृद्धि की

सुरेश गांधी

वाराणसी। कालीन निर्यातकों को पूर्व में मिल रही टैक्स छूट की जगह सरकार ‘रॉडटेप’ के तहत छूट देने की योजना बनाई है। निर्यातकों की माने तो नए स्कीम से निर्यातकों को राहत मिलेगी। हालांकि वर्तमान मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट इन इंडिया स्कीम (एमइआइएस) जारी रहेगी। लेकिन निर्यातकों को इसका डेटा फरवरी तक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ ही 31 मार्च तक बढ़ाया जाएगा। इसके बाद यह पुरानी स्कीम पूर्णतः समाप्त हो जायेगी। बता दें, रिमीसन ऑफ ड्यूटी एंड टैक्स फॉर एक्सपोर्ट प्रोडक्ट (आरओडीटीइपी) यानी कर्तव्यों या करों की छूट अर्थात् एक नई योजना की घोषणा की गई है ताकि निर्यातकों को नए निर्यात विकल्पों, उदारवादी नीतियों और कर्तव्य लाभ के साथ और अधिक प्रोत्साहन दिया जा सके। इसका मकसद निर्यातकों को अधिक राजस्व प्रोत्साहन से जोड़ने की है। इसके अर्तंगत निर्यातकों को समयबद्ध ड्यूटी रिफंड दाखिल करना होगा। यह योजना पूर्व में मिल रही निर्यात मूल्य के एवज में मिलने वाली 5 प्रतिशत की छूट के बदले में है। सरकार अब पुरानी स्कीम के तहत लाभ लेने वाले निर्यातकों को रॉडटेप के तहत छूट देगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे करों की प्रतिपूर्ति में गति के साथ निर्यात को और बढ़ावा मिलेगा। मतलब साफ है मार्च तक एमईआईएस स्कीम का लाभ उठाते रहेंगे और बाद में इसे आरटीडीपीपी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

सरकार का दावा है कि नए स्कीम से विदेशी बाजारों में सुनिश्चित शुल्क लाभ के साथ उत्पादों में अधिक प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा। डब्ल्यूटीओ (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) आज्ञाकारी नीति होने के नाते यह निर्यातकों को निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने और उनके व्यवसाय के लिए बेहतर अर्थव्यवस्था जुटाने में मदद करेगा। वर्तमान में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (“ईसीजीसी“) के माध्यम से एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस स्कीम (“ईएसआईसी“) को और विस्तार सहायता दी गई है ताकि बैंकों को निर्यात इकाइयों को ऋण देने के लिए उच्च बीमा सुरक्षा प्रदान की जा सके। इस नए स्कीम को कालीन निर्यातकों से रुबरु कराने के लिए गुरुवार को वित्त विभाग ने रॉडटेप समिति के चेयरमैन जी.के. पिल्लई की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उच्च स्तरीय समिति की बैठक बुलाई। बैठक में पिल्लई के अलावा गौतम रे, वाई.जी. परांडे, सदस्य समिति, नितेश सिन्हा, संयुक्त सचिव, ड्राबैक, वित्त मंत्रालय और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में सीईपसी के अलावा कुछ निर्यात संवर्धन परिषदों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। बैठक में सीईपीसी चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह, कार्यकारी निदेशक संजय कुमार, प्रमुख सदस्य उमेश कुमार गुप्ता, ललित गोयल अध्यक्ष पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन और मैसर्स रिवरिया एक्सपोर्ट्स, पानीपत, अशोक गुप्ता मैसर्स एबीसी लिमिटेड पानीपत, अतुल आनंद मेसर्स ओबेटी प्रा लिमिटेड मिर्ज़ापुर, सीईपीसी सलाहकार एन.के. चोपड़ा प्रबंध निदेशक, मैसर्स ग्लोबल कंसलिं्टग लिमिटेड ने बैठक में भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग का प्रतिनिधित्व किया।

सीईपीसी के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने समिति को सूचित किया कि परिषद ने पहले ही निर्धारित प्रारूप में आवश्यक डेटा जमा कर दिया है। विभाग द्वारा मांगी गई स्पष्टीकरण भी प्रस्तुत कर दिया है। इस दौरान श्री सिंह ने भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया। क्योंकि यह ग्रामीण आधारित कुटीर उद्योग है जो अत्यधिक श्रम गहन और ज्यादातर असंगठित क्षेत्र है। इसमें लाखों गरीब कारीगरों की आजीविका सीधे उद्योग के साथ है। श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान उद्योग परिदृश्य में सुधार के लिए वर्तमान मेंमिल रही टैक्स छूट से और अधिक छूट और सुविधाएं चाहिए। बैठक में समिति के चेयरमैन जी.के. पिल्लई ने कहा कि वे भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को अच्छी तरह से जानते व समझते है। उनकी सुविधाओं में कटौती के बज और बेहतर बनाए जाने की योजना है। इस दौरान जी.के. पिल्लई ने श्री सिंह से भदोही-मिर्जापुर-वाराणसी कालीन बेल्ट में सड़क की स्थिति के बारे में भी पूछताछ की। जवाब में श्री सिंह ने बताया कि कुछ सुधार हैं आगे और उम्मीद है। शेष कार्य शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। समिति के अधिकारियों के अनुसार, वे फरवरी, 2021 तक अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि योजना को 31 मार्च, 2021 तक और बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे काउंसिल द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी डेटा की जांच कर रहे हैं और यदि आवश्यक हो तो वे दरों को अंतिम रूप देने से पहले और इनपुट लेंगे।

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