लखनऊ, 10 दिसम्बर। ग्लोबल क्लासरूम प्राइवेट लिमिटेड (जीसीपीएल) और ग्लोबल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट की संस्थापिका डा. सुनीता गाँधी द्वारा सामाजिक संस्था देवी संस्थान और एसबीआई लाइफ के सहयोग से आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर साक्षरता मिशन ‘ग्लोबल ड्रीमशाला’ की शुरूआत की गई, जिसका उद्देश्य वैश्विक साक्षरता मिशन अभियान को उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में फैलाना है। एक भव्य समारोह में मुख्य अतिथि श्रीमती संयुक्ता भाटिया, मेयर, लखनऊ ने दीप प्रज्वलित कर ‘ग्लोबल ड्रीमशाला’ का विधिवत् उद्घाटन किया। विदित हो कि ‘ग्लोबल ड्रीमशाला’ अपनी तरह का पहला साक्षरता कार्यक्रम है जो ग्लोबल ड्रीम टूलकिट का उपयोग करके साक्षर बनाता है और जो शिक्षण का एक विशाल और वैकल्पिक तरीका है। इसका उद्देश्य स्कूल न जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है, साथ ही, वयस्कों को साक्षर बनाना भी इसका उद्देश्य है।
‘ग्लोबल ड्रीमशाला’ का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि हम सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने डा. सुनीता गांधी के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल ड्रीमशाला और ग्लोबल ड्रीम टूलकिट्स की मदद से, वंचितों को सीखने के नए और अभिनव तरीकों से परिचित कराया जाएगा, जो कि बेहद प्रसन्नता की बात है।
डा. सुनीता गाँधी ने इस प्रोग्राम के लाॅन्च के बारे में बताते हुए कहा कि ग्लोबल ड्रीमशाला के साथ हमारा प्राथमिक उद्देश्य सीखने का एक शून्य लागत स्केल-अप माॅडल प्रदान करना है। यह त्वरित और प्रभावी दोनों है और यह सीखने के लाभ को हर दिन वास्तविक बनाता है। इससे स्वयंसेवकों और शिक्षार्थियों दोनों को उच्च प्रेरणा मिलती है।
डा. गाँधी ने बताया कि इस .ष्टिकोण का एक पायलट प्रोजेक्ट पहले से ही लखनऊ के सरोजनी नगर ब्लॉक के करौनी में 22 महिला स्वयंसेवकों के साथ किया गया था। जल्द ही ये महिलायें शिक्षक बन गयीं और कुछ महीनों के भीतर ही इन लोगों ने एनआईओएस द्वारा और एनएलएम बेसिक साक्षरता परीक्षा देने के लिए 180 महिलाओं को और तैयार कर दिया, इसके साथ – साथ उन्होंने करौनी में 800 से अधिक महिलाओं को पढ़ने, लिखने, संख्यात्मक कार्यो में सक्षम बनाया। बाद में, इस कार्यक्रम को अन्य शहरों में वंचित बच्चों, वयस्कों को शिक्षित करने के लिए शुरू किया गया। उन्होंने आगे बताया कि ग्लोबल ड्रीम टूलकिट, जो अनपढ़ लोगों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम के रूप में उपयोग किया जाता है, सीखने वालों को अन्य मौजूदा पाठ्यक्रम की तुलना में बहुत तेजी से पढ़ना सिखाता हैं। कई शिक्षार्थी प्रति दिन सिर्फ 15 मिनट सीखने से ही एक से दो महीने के भीतर पढ़ना शुरू कर देते हैं।