ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी धमाकेदार तरीके से न सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज कर रही है बल्कि इसमें आगे भी बढ़ती दिखाई दे रही है। इस चुनाव के रिजल्ट पूरी तरह से भाजपा की सोच की ही तरह आते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा ने इस चुनाव के कैंपेन के दौरान कहा था कि इस बार यहां पर भाजपा का महापौर होगा। चुनाव के रिजल्ट यदि इसी दिशा में आगे बढ़ते रहे तो ये काफी हद तक मुमकिन होगा।
बहरहाल, हैदराबाद में बढ़त लेकर भाजपा ने यहां पर वर्षों से जड़ें जमाए रखने वाली असदुद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम को गहरा झटका दिया है। कुछ ही समय पहले भाजपा ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने राज्य से बाहर निकल कर किसी अन्य राज्य में अपनी मौजूदगी दर्ज की थी। ऐसे ही बिहार विधानसभा चुनाव में भी उसकी पार्टी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई। इसके बाद औवेसी की निगाह पश्चिम बंगाल के चुनाव पर लगी थी। इसके लिए उन्होंने वहां की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी से साथ चुनाव लड़ने का पासा भी फेंका था।
हैदराबाद के इस पूरे सियासी घमासान के बीच भाजपा की आगे की राह आसान होती साफतौर पर दिखाई दे रही है। वरिष्ठ पत्रकार और देश की राजनीति पर करीबी निगाह रखने वाले प्रदीप सिंह के मुताबिक ये चुनाव न सिर्फ औवेसी को उनके ही घर में चुनौती देने के लिए लड़ा गया था बल्कि इसमें पार्टी के निशाने पर यहां का विधानसभा चुनाव भी है। उनके मुताबिक राज्य में कांग्रेस का वजूद न के बराबर है और दूसरी पार्टियों की बात करें तो वो भी खास मायने नहीं रखती हैं। ऐसे में तेलंगाना में होने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए आगे की राह खोल सकता है। वहां तक पहुंचने की राह ग्रेटर हैदराबाद के नगर निगम चुनाव से ही होकर निकलती है।
उनके इस कथन का अर्थ बेहद साफ है कि भाजपा औवेसी को कमजोर कर राज्य में खुद को मजबूत करना चाहती है। मौजूदा रिजल्ट इसी तरफ इशारा भी कर रही है। हालांकि प्रदीप सिंह का ये भी कहना है कि पश्चिम बंगाल में औवेसी को कमजोर करना भाजपा की रणनीति नहीं होगी। उनके मुताबिक इसकी वजह है कि वहां पर यदि औवेसी मैदान में उतरते हैं तो वो किसी अन्य का नहीं बल्कि टीएमसी का ही नुकसान करेंगे। टीएमसी जितनी कमजोर होगी उतना ही भाजपा को वहां पर फायदा पहुंचेगा।
जहां तक ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव की बात है तो प्रदीप सिंह मानते हैं कि भाजपा की निगाह में दक्षिण भारत में तेलंगाना दूसरा राज्य हो सकता है जहां पर पार्टी अपनी सरकार बनाने के करीब तक पहुंच सकती है। उनका ये भी कहना है कि यहां पर हुए विधानसभा चुनाव में पाटी ने ज्यादा मेहनत नहीं की थी इसके बाद भी पार्टी को ठीक-ठाक सीटें मिली थीं। इसको देखते हुए ही पार्टी ने स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए इस चुनाव का रुख किया था।