अब मात्र डेढ़ घंटे में बनारस से पहुंचें प्रयागराज!

काशी व प्रयागराज के बीच शुरू हुई बेहतरीन सड़क यातायात सुविधा

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को एकदिवसीय अपने वाराणसी दौरे के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य में हाइब्रिड एन्यूइटी मॉडल पर आधारित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 (नवीन संख्या 19) के हंडिया-राजातालाब खंड के किमी 712.900 से 785.544 के मध्य कुल लंबाई 72.644 किमी0 6 लेन चौड़ीकरण सड़क मार्ग का उद्घाटन किया। राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण की यह परियोजना एक अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना है, जो विश्व की दो प्राचीनतम एवं पवित्र शहरों प्रयागराज एवं काशी को आपस में जोड़ती है। गौरतलब है कि यह राजमार्ग स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना-1 (दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर) का भी एक प्रमुख भाग है तथा यह जनपद प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर एवं वाराणसी के अधीन प्रभागों से गुजरता है। पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के उक्त खंड में स्थित हंडिया, बरौत, भीटी, जंगीगंज, गोपीगंज, औराई, महाराजगंज, कछवा, मिर्जापुर, राजातालाब इत्यादि कस्बों में भीषण जाम लगता था।

इस परियोजना के अंतर्गत बड़े-बड़े फ्लाईओवर एवं उच्च परिगामी वृहत संरचना के पूर्ण होने से इन क्षेत्र के लोगों को जाम से पूरी तरह निजात रहेगी। पूर्व में प्रयागराज से वाराणसी के मध्य यात्रा में लगभग 3.5 घंटे से अधिक का समय लगता था। इस परियोजना के पूर्ण होने से अब आधे से भी कम यानी प्रयागराज से वाराणसी पहुंचने में मात्र डेढ़ घंटे का ही समय लगेगा। इस परियोजना के क्षेत्र में प्रतिवर्ष श्रावण मास में एक महीने तक कांवड़ मेला चलता है, जिसमें प्रयागराज एवं वाराणसी के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के इस खंड में भारी संख्या में श्रद्धालुओं एवं कावड़ियों का आवागमन होता है। कावड़ियों की भारी भीड़ के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के इस खंड में एक तरफ का आवागमन कावड़ियों के लिए आरक्षित कर दिया जाता था तथा राजमार्ग के यातायात का आवागमन केवल एक तरफ से ही होता था।

इसके अतिरिक्त संगम (प्रयागराज) पर प्रतिवर्ष माघ महीने में एक माह तक माघ मेले का आयोजन होता है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पर्यटकों का आवागमन होता है, जिससे जाम की भीषण समस्या उत्पन्न होती थी। इसके अतिरिक्त प्रत्येक 6 वर्ष के अंतराल पर संगम पर कुंभ का आयोजन होता है, जो लगभग 2 माह तक चलता है। इस अवधि में अत्यधिक भारी संख्या में देसी-विदेशी श्रद्धालुओं व पर्यटकों का संगम पर आवागमन होता है, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के उक्त खंड में जाम की भीषण समस्या उत्पन्न होती थी। इन सुअवसरों पर प्रयागराज तथा वाराणसी प्रशासन द्वारा समस्त भारी वाहनों को उक्त खंड से अन्य वैकल्पिक मार्गो से होते हुए डायवर्ट करना पड़ता था। इन वाहनों को सकलडीहा, सैदपुर, केराकत, जौनपुर, मछली शहर, रायबरेली एवं फतेहपुर होते हुए तथा वापसी में भी इन्हीं जगहों से होते हुए डाइवर्ट करना पड़ता था। इससे भारी वाहनों को लगभग 100 किलोमीटर से भी अधिक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी। इस परियोजना के पूर्ण होने से स्थानीय प्रशासन को इस समस्या से निजात मिल गई है तथा इससे ईंधन, यात्रा समय एवं परिवहन की लागत में भी बचत हुई है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय टोल राजस्व की हानि तथा टोल ऑपरेटरों के दावों से भी मुक्ति मिली है।

इस परियोजना के पूर्ण होने से उपरोक्त समस्याओं के निराकरण में स्थानीय प्रशासन को अत्यंत लाभ मिलेगा तथा विश्व की दो प्राचीनतम एवं पवित्र शहरों वाराणसी एवं प्रयागराज में अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के पर्यटकों की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि होगी। परियोजना के पूर्ण होने से हमारी स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण छवि बनेगी। एनएचआई कि उक्त परियोजना 2447 करोड़ रुपए से पूर्ण हुई। इससे 72.64 किलोमीटर 6 लेन का चौड़ीकरण, 71.94 किलोमीटर सर्विस रोड, 72.2 किलोमीटर आरसीसी ड्रेन, 05 बृहद उच्च ऊपरगामी, 03 फ्लाईओवर, 11 बड़े अंडर पास, 12 छोटे अंडरपास, 03 पुल, 2 फुट ओवर ब्रिज, 04 ट्रक के बाई व 36 स्थल पर बस ले वाई की सुविधाएं दी गई हैं। इस मार्ग पर प्रतिदिन ट्रैफिक 32500 पीसीयू हैं। यह वृहद परियोजना 3 वर्ष से भी कम समय में ही पूर्ण कर ली गई।

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