विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने नवंबर में निवेश का रिकॉर्ड बनाया है। डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक 3-27 नवंबर के दौरान एफपीआइ ने भारतीय बाजार में 62,951 करोड़ रुपये का निवेश किया है। आंकड़ों के अनुसार एफपीआइ ने इस अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 60,358 करोड़ व डेट यानी कर्ज या बांड बाजार में 2,593 करोड़ रुपये निवेश किया है। इस तरह तीन से 27 नवंबर के दौरान भारतीय बाजारों में एफपीआइ ने 62,951 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड द्वारा जब से ये आंकड़े उपलब्ध कराए जा रहे हैं तब से शेयर बाजारों में एफपीआइ निवेश का यह उच्च स्तर है।
ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा कि वैश्विक निवेशक पूंजी लगाने के मामले में विकसित बाजारों के मुकाबले उभरते बाजारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसकी वजह है कि उभरते बाजारों में उन्हें लाभ होने की अधिक संभावना होती है। जैन के मुताबिक एफपीआइ का ज्यादातर निवेश बैंकिंग क्षेत्र में आया है। इसके साथ ही उन्होंने चुनिंदा बड़ी कंपनियों में निवेश किया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि निवेश का प्रवाह कुछ शेयरों में केंद्रित है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति को लेकर बनी अनिश्चितता नवंबर में खत्म हो गई है। वहीं, डॉलर में कमजोरी के चलते भी निवेशक भारतीय बाजारों में पूंजी लगा रहे हैं। जहां तक भविष्य का सवाल है, तो बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि कोरोना संकट और उससे निपटने के लिए विकसित हो रहे टीके से जुड़ी खबरें कौन सा मोड़ लेती हैं।
सिंगापुर से आया सबसे अधिक एफडीआइ
कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के तहत मौजूदा वित्त वर्ष (2020-21) की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत में 8.30 अरब डॉलर के साथ सबसे अधिक निवेश सिंगापुर से आया। इसके बाद 7.12 अरब डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर अमेरिका रहा। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह स्थान मॉरीशस का था, जो इस वर्ष चौथे स्थान पर आ गया। मॉरीशस से एफडीआइ के रूप में दो अरब डॉलर का निवेश किया गया।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। देश में चालू वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों में कैमन आइलैंड्स से 2.1 अरब डॉलर का निवेश आया। इसके बाद नीदरलैंड्स (1.5 अरब डॉलर), ब्रिटेन (1.35 अरब डॉलर), फ्रांस (1.13 अरब डॉलर), जापान (65.3 करोड़ डॉलर) और जर्मनी (20.2 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा। अमेरिका से एफडीआइ बढ़ने को भारत के साथ उसके रिश्ते और मजबूत होने से जोड़कर देखा जा रहा है।