लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित सहित अन्य नेताओं ने ‘ज्योतिबा फुले’ की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शनिवार को ट्वीट किया कि शिक्षा के समान अवसर देने वाले, समतामूलक समाज के पक्षधर और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने वाले महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक ज्योतिराव गोविंदराव फुले ‘ज्योतिबा फुले’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, नारी शिक्षा और समानता के अधिकार के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने ट्वीट किया कि महान विचारक, समाज सेवी एवं महिलाओं व दलितों के उत्थान के प्रबल समर्थक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया ने कहा कि समाज के गरीब, कमजोर और असहाय वर्गों के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन लगा देने वाले महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर अनंतकोटि नमन ।उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएग। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा कि महिलाओं व दलितों के उत्थान हेतु उल्लेखनीय कार्य करने वाले महान समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी देशभक्त महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि नारी शिक्षा के प्रखर समर्थक, सत्यशोधक पंथ के जनक, समाज सुधारक, विचारक,लेखक, कवि और अश्पृश्यता आंदोलन के पुरोधा ज्योतिराव गोविंद फुले जी की पुण्यतिथि पर आत्मिक नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि सत्य शोधक समाज के संस्थापक, एक महान विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता ‘क्रांति ज्योति’ महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन। महात्मा ज्योतिबा फुले समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, विचारक, क्रान्तिकारी के साथ अनन्य प्रतिभाओं के धनी थे। इनका जन्म तात्कालिक ब्रिटिश भारत के खानवाडी (पुणे) में हुआ था। इनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से आकर यहां बसा था। यहां आकर इन्होंने फूलों का काम शुरू किया और उससे गजरा व माला इत्यादि बनाने का काम शुरू किया। इसलिए ये ‘फुले’ के नाम से जाने गए।
शिक्षा के क्षेत्र में औपचारिक रूप से कुछ करने के उद्देश्य से इन्होंने सन् 1848 में एक स्कूल खोला। स्त्री शिक्षा और उनकी दशा सुधारने के क्षेत्र में यह पहला कदम था। इन्होंने दलितों व महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये। 24 सितम्बर 1873 को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इन्होंने समाज के जाति आधारित विभाजन का सदैव विरोध किया। इसके साथ ही ज्योतिबा फुले बाल-विवाह के विरोधी और विधवा पुनर्विवाह के समर्थक थे। सन् 1975 में ज्योतिबा फुले के नाम पर बरेली में विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। रुहेलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा के गिरते स्तर को ध्यान में रखते हुए यहां पर एक विश्वविद्यालय की आवश्यकता महसूस हुयी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से पूर्व यह क्षेत्र आगरा विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता था। ज्योतिबा फुले की मृत्यु 28 नवम्बर 1890 को महाराष्ट्र के पुणे में हो गयी।