मिशन शक्ति के तहत हर जनपद में होगा पारस्परिक संवाद
सुरक्षा, संरक्षण, यौन व घरेलू हिंसा आदि पर होगी बात
लखनऊ। मिशन शक्ति अभियान के तहत बुधवार (25 नवम्बर) को महिलाएं और बच्चे अपने जनपद के जिलाधिकारी से सीधे तौर पर ‘हक़ की बात’ करेंगे। इसके लिए हर जिले में दो घंटे के पारस्परिक संवाद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें महिलायें और बच्चे स्थानीय समस्याओं के साथ ही यौन शोषण, घरेलू हिंसा, दहेज़, आर्थिक समस्याओं, शिक्षा तक पहुंच की उपलब्धता की समस्या आदि पर जिलाधिकारी से बात करेंगी, अपने सुझाव देंगी और जिलाधिकारी द्वारा मौके पर ही निवारण हेतु संबधित विभागों या अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जाएंगे। इसके लिए हर जिले के प्रोबेशन अधिकारी को पहले ही अपने जिले के जिलाधिकारी से तालमेल कर समय निर्धारित करने को निर्देशित किया जा चुका है।
निदेशक महिला कल्याण व मिशन शक्ति के नोडल अधिकारी मनोज कुमार राय का कहना है कि जिलाधिकारी से सीधे हक़ की बात करने के लिए जिलों में वेबिनार, डेडिकेटेड फोन लाइन, वीडियो कांफ्रेंसिंग आदि माध्यमों का प्रयोग किया जाएगा। इस आयोजन से महिलाओं को अपनी समस्याओं को उचित फोरम पर उठाने का जहाँ मौका मिलेगा वहीँ अपनी बात को उठाने में आड़े आने वाली हिचक भी दूर होगी। महिलायें तथा बच्चे या उनकी ओर से कोई भी घरेलू हिंसा, दहेज़ शोषण, शारीरिक और मानसिक शोषण, लैंगिक असमानता, बाल विवाह, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति, यौनिक हिंसा व छेड़छाड़ आदि मुद्दों पर बात करने के साथ ही इससे निपटने का सुझाव भी जिलाधिकारी के सामने रख सकते हैं। इसके अलावा पोषण और स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों तथा अगर किसी महिला या बच्चे की किसी प्रकरण में कहीं सुनवाई नही हो रही है तो भी आने जिलाधिकारी से सीधे बात कर सकते हैं।
ज्ञात हो कि प्रदेश में महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के लिए चलाये जा रहे ‘मिशन शक्ति’ को हर माह अलग थीम पर मनाने का निर्णय लिया गया है। इस माह की थीम- ‘मानसिक स्वास्थ्य तथा मनोसामाजिक मुद्दों से सुरक्षा और सपोर्ट’ तय की गयी है। महिला कल्याण विभाग द्वारा मिशन शक्ति के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के साथ संयुक्त कार्ययोजना बनाकर इसे चलाया जा रहा है। इससे पहले अभियान के तहत किशोर- किशोरियां स्थानीय अधिकारियों से ‘शक्ति संवाद’ के तहत अपनी बात रख चुके हैं।
इन असुरक्षित स्थानों की भी दे सकते हैं सूचना
- – विद्यालय के पास शराब की दुकान
- – विद्यालय के समय आस-पास असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
- – किसी घर में महिला या बच्चे के साथ किसी प्रकार की हिंसा होना
- – आने-जाने वाले रास्ते में लाइट न होने से अँधेरे में असुरक्षित माहौल
- – विद्यालय में चहारदीवारी, शौचालय, भेदभाव रहित वातावरण का न होना
- – घरों में शौचालय की व्यवस्था का न होना