अगर आपके पास चाकू, तलवार आदि है, तो आप भी इस जरूरी जानकारी से रूबरू हो लीजिए। दरअसल कम लोग ही जानते होंगे कि बंदूक, रायफल की तरह तलवार और चाकू का भी लाइसेंस लेना जरूरी होता है। पांंच साल मेंं इसका नवीनीकरण भी होता है। नवाब खानदान के नवाब काजिम अली खां के पास भी खानदानी तलवार है, जिसका लाइसेंस है।
जिले में कुल छह लोगों के पास ऐसे लाइसेंस हैं, जिनका निर्धारित समय पर नवीनीकरण भी कराया जाता है। जिलाधिकारी के पेशकार रहे नसीर अहमद खां के पास चाकू का लाइसेंस है। बताते हैं कि उन्होंने 1994 में चाकू का लाइसेंस बनवाया था। तब मात्र पचास पैसे लगे थे। अब इसकी फीस 500 रुपये है।
बंदूक की तरह बनता है तलवार व चाकू का लाइसेंस
तलवार और चाकू का लाइसेंस भी बंदूक के लाइसेंस की तरह बनता है। पुलिस और तहसील की रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी लाइसेंस जारी करते हैं। बंदूक के लाइसेंस पर शस्त्र का नंबर अंकित होता है। लेकिन, चाकू या तलवार के लाइसेंस पर ऐसा नहीं है। उस पर सिर्फ चाकू, तलवार या खंजर का संदर्भ लिखा जाता है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंंह बताते हैं कि छह इंच से ज्यादा फाल के चाकू के लिए लाइसेंस जरूरी है। चाकू, तलवार और खंजर का एक ही लाइसेंस बनता है। पांच साल में नवीनीकरण भी कराना जरूरी है।
नवाब की कोठी में कई हथियार
रामपुर में करीब पौने दो सौ साल नवाबों का राज रहा है। आजादी के बाद जब नवाबी खत्म हो गई तो सेना के तमाम हथियार सरकार को दे दिए गए। लेकिन, नवाब खानदान की सुरक्षा के लिए जो हथियार थे, वे परिवार के पास ही रहे। आज भी करीब एक हजार हथियार कोठी खास बाग में बनी आरमरी में सुरक्षित रखे हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने नवाब खानदान की हजारों करोड़ की संपत्ति के बंटवारे के आदेश दिए हैं। अब इन हथियारों का भी बंटवारा होना है। इन हथियारों में रायफल, बंदूक, पिस्टल, रिवाल्वर, चाकू और तलवारें शामिल हैं। नवाब खानदान के काजिम अली खां भी हथियारों के शौकीन हैं। उनके पास विदेशी कंपनी की रायफल और बंदूक के साथ ही तलवार का भी लाइसेंस है। बताते हैं कि यह उनकी खानदानी तलवार है। पहले उनके पिता मिक्की मियां के पास थी। उनकी मौत के बाद विरासत में उनके पास आ गई। विरासत में ही लाइसेंस बना है।