कॉमेडी के साथ मुद्दापरक फिल्में करने में अभिनेता अक्षय कुमार अग्रणी हैं। उनकी फिल्म ‘लक्ष्मी’ रिलीज हो चुकी है। सुपरहिट तमिल फिल्म ‘मुनि 2: कंचना’ की इस रीमेक में अक्षय पहली बार किन्नर के किरदार में नजर आए हैं। ऐसे में उन्होंने स्मिता श्रीवास्तव से फिल्म और दीवाली को लेकर ख़ास बातचीत की। आइए जानते हैं…
लॉकडाउन से अनलॉक के बीच आपने क्या सीखा?
(सोचते हुए) अपने आसपास की सफाई के साथ अपने शरीर की स्वच्छता, इम्यूनिटी, एक्सरसाइज को हम नजरअंदाज करते आए हैं। अब एहसास होता है कि यह जीवन के लिए कितनी अहम है। पहले कहा जाता था कि घर आने के बाद हाथ पांव और मुंह धोएं। वर्तमान में यह अनिवार्य हो गया है। यह सब लर्निंग ही है कि स्वच्छता और अपने शरीर का ध्यान रखो। मैंने यही सीखा कि विपरीत परिस्थतियों में भी अपनी सोच सकारात्मक रखते हुए काम करते रहना चाहिए।
‘लक्ष्मी’ को आपके करियर की सबसे बड़ी ओपनिंग मिली है। क्या इसकी उम्मीद थी?
उम्मीद बस यही कर रहा था कि यह फिल्म दर्शकों तक पहुंचे। हमने बहुत मेहनत की है। मगर मेरे करियर की सबसे बड़ी ओपनिंग होगी, यह नहीं सोचा था।
फिल्म में ‘बम भोले’ गाना काफी पसंद किया गया। साड़ी पहनकर डांस करने का अनुभव कैसा रहा?
यह मत पूछिए। यह बहुत मुश्किल है। यह बहुत ग्रेसफुल परिधान है। मैंने देखा कि साड़ी पहने महिलाएं बस और ट्रेन भागकर पकड़ लेती हैं। डांस करती हैं। मेरे लिए तो साड़ी संभालना मुश्किल हो गया था, जबकि मेरे साथ तीन-चार ड्रेस डिजाइनर रहते थे। यह अलग बात है कि हम उसे अच्छे से कर ले गए, पर वास्तव में यह बहुत मुश्किल है।
आपने किन्नरों के सम्मान का मुद्दा उठाया…
मुझे लगता है कि अगर दो प्रतिशत भी बदलाव आ गया तो मेरा फिल्म बनाना सफल रहा। यही सोच कर मैंने खुले में शौच की समस्या पर ‘टॉयलेट: एक प्रेमकथा’, सैनेटरी पैड को लेकर ‘पैडमैन’ जैसी फिल्म बनाई। ऐसा नहीं है कि फिल्म आ रही है तो मैं उस मुद्दे पर बात करता हूं, उसके बाद नहीं। आज भी मैं खुले में शौच के मुद्दे पर बात करता हूं। मिशन पानी पर मैंने पूरी बातचीत की है। वह जल्द ही सार्वजनिक होगा। उसमें पानी की बचत और स्वच्छता के मुद्दे पर मैंने बात की है। कुछ ऐसे सामाजिक कार्य हैं, जिनमें मैं यकीन रखता हूं, उनसे जुड़े रहना चाहता हूं। कुछ ऐसी सामाजिक चीजें हैं, जिनके बारे में कई बार दूसरों से भी पता चलता है। मैं उस पर भी फिल्म बनाने की इच्छा रखता हूं।
फिल्म करने से आप किन्नरों की समस्या से वाकिफ थे?
इमानदारी से कहूं तो उनकी समस्याओं से इतना वाकिफ नहीं था। फिल्म बनाते वक्त कई किन्नरों से बात हुई। उनसे जुड़े बहुत सारे लोगों से बात करते हुए उनकी समस्याओं के बारे में गहराई से पता चला। मेरे निर्देशक राघव लॉरेंस ने भी काफी बातें बताईं।
लक्ष्मी के किरदार के लिए विशेष तैयारी भी करनी पड़ी?
कोई तैयारी नहीं की। तमिल फिल्म में यह किरदार हमारे निर्देशक राघव लॉरेंस ने निभाया था। उनसे ही मैंने काफी कुछ सीख लिया था।
‘लक्ष्मी’ के सीक्वल की क्या तैयारी है?
बिल्कुल। जिस प्रकार से लक्ष्मी को ओपनिंग मिली है मुझे यकीन है कि हम इसके सीक्वल पर काम करेंगे। फिल्म के अंत में उसका संकेत दिया गया है।
कोरोना काल में आपने अपनी फिल्म ‘बेलबॉटम’ की पूरी शूटिंग कर डाली। लगातार काम कर रहे हैं। कभी डर नहीं लगा?
सावधानियां बरतते हुए काम तो करना ही होगा। निडर बनना होगा। इन कठिन हालातों में पुलिस, डॉक्टर्स, सफाईकर्मी भी लगातार काम कर रहे हैं। बस अपनी सेहत और परिवार का ध्यान रखें। कोरोना से बचाव को लेकर कुछ दिशा निर्देश हैं उनका पालन करें। जल्द ही हम इससे भी उबर जाएंगे।
आपके बेटे आरव और बेटी नितारा में दिवाली को लेकर कैसा उत्साह रहता है?
करीब पांच साल पहले बढ़ते प्रदूषण की वजह से हमने पटाखे चलाना बंद कर दिया था। अब दीये जलाते हैं, पूजा करते हैं। अच्छा भोजन खाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। ताश खेलते हैं। तमाम मिठाइयां बनती हैं। उसे लेकर उत्साह रहता है। दोस्तों से मेल-मुलाकात करने जाते हैं उसका उत्साह सबमें रहता है। इस बार मेरी पत्नी ट्विंकल फिलहाल लंदन में हैं। तो इस बार मेरी दिवाली भी वहीं पर मनेगी।
दीवाली पर लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने की बात की जा रही है…
इस दीवाली ही क्यों, लोकल प्रोडक्ट को हमेशा प्रमोट करते रहना चाहिए।