कोरोना महामारी से कैसे निपटें इसको लेकर देश दुनिया के वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं। हर स्तर पर रिसर्च का काम चल रहा है। मोहाली के मैकेनिकल इंजीनियर अर्शमीत सिंह ने इस संकट से निपटने में सहायक एक कमाल के यंत्र को इजाद किया है। इससे आप किसी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस व चीज को बिना संक्रमण मुक्त कर सकते हैं। बिना किसी परेशानी से खेलों व खाने -पीने के सामान को भी आसानी से सेनिटाइज कर सकते हैं। अर्शमीत ने इस डिवाइस को ‘वायोलिट’ नाम दिया है। वायोलिट में अल्ट्रा वॉयलेट लाइट से सामान को सुरक्षित ढंग से सेनिटाइज किया जाता है।
मोहाली के युवा मैकेनिकल इंजीनियर अर्शमीत सिंह का स्टार्टअप
अर्शमीत सिंह ने बताया कि आजकल आजकल जब भी हम बाहर खाने से खाने पीने का सामान लाते हैं तो यही डर लगा रहता है कि कहीं हम कोरोना वायरस तो अपने साथ नहीं लाए हैं। ऐसे में हम वायोलिट में दो से पांच मिनट फल सब्जियां रख कर इन्हें संक्रमण मुक्त कर सकते हैं। इससे फल सब्जियों के पौष्टिक तत्वों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
वायोलिट नाम से बनाए गए इस यंत्र के इस्तेमाल से खाने की गुणवत्ता को नहीं होगा कोई नुकसान
अर्शमीत कहते हैं, कोरोना महामारी से हमें बहुत कुछ सिखाया है और हम अपने स्वास्थ्य के प्रति खासे जागरूक हुए हैं। भविष्य में भी कई तरह के खतरे सामने आएंगे। हम सेनिटाइजर से हाथ तो सेनिटाइज कर सकते हैं, लेकिन अपने मोबाइल और पर्स, कार की चाबी, पेन आदि को सेनिटाइज नहीं करते हैं। ऐसे में मास्क पहनकर और हाथ सेनिटाइज करके भी हम अपने साथ ऑफिस के अंदर वायरस ले जा सकते हैं। वायोलिट के इस्तेमाल से इसे रोका जा सकता है।
ऐसे आया आइडिया
अर्शमीत ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह यूट्यूब पर कोरोना रिसर्च के वीडियो देख रहे थे। इसी दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एक शोधकर्ता का एक वीडियो देखा, इसमें यह शोधकर्ता अपने मॉस्क, चश्मे और पर्स को अल्ट्रा वॉयलेट लाइट से सेनिटाइज कर रहा था। इससे आइडिया मिल गया और तुरंत इस पर स्टॉर्टअप शुरू करने की योजना बना डाली।
एनएबीएल ने दी वायोलिट को मान्यता
अर्शमीत बताते हैं कि उन्होंने कुछ हफ्तों की मेहनत के बाद वायोलिट तैयार कर लिया। यह ठीक से काम करता है। इसके लिए नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन के पास इसका टेस्ट करवाया। प्रमाणित हुआ कि वायोलिट दो से पांच मिनट के भीतर इसमें रखी हर चीज सेनिटाइज कर देता है। प्रोडेक्ट की खास बात यह है कि इसमें सेंसर सिस्टम है। यह तभी काम करेगा, जब यह बंद होगा। वायोलिट को आर्कषक बनाने के लिए इसकी बेहतरीन ढंग से डिजाइनिंग की है। इसकी कीमत तीन से 50 हजार रुपये तक रखी है। वह अभी तक 20 से ज्यादा प्रोडेक्ट बेच चुके हैं।
स्कूलों ने भी मांगी अर्शदीप से मदद
अर्शदीप ने बताया कि इस प्रोडक्ट के लिए कई स्कूलों ने भी उनसे संपर्क किया है। जिससे सुरक्षित तरीके से स्कूल को सेनिटाइज किया जा सके। वह पांच मिनट में क्लासरूम को सेनिटाइज कर सकते हैं। उन्होंने कई स्कूलों को अपना मॉडल भी दिखाया है। इसके अलावा पीयू के माइक्रोबॉयोलॉजी डिपार्टमेंट से भी वह मदद ले रहे हैं ताकि प्रोडेक्ट को और बेहतर बनाया जा सके।