रविंदर शर्मा/राजिंदर सिंह, नारायणगढ़ (अमृतसर)। पाकिस्तान के कराची स्थित लांडी और लाहौर सेंट्रल जेल से 26 अक्टूबर को रिहा होकर वतन लौटे पांच भारतीय नागरिकों को अमृतसर में क्वारंटाइन किया गया है। रिहा होकर आने वालों में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के गांव जहांगीर के घनश्याम कुमार, उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के सतवास गांव के सोनू सिंह, कानपुर के कंगी मोहल्ला के शमशूद्दीन, ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के बिरजू और आंध्र प्रदेश के कादिबल निवासी सतीश शामिल हैं। कोविड नियमों के बीच पांचों स्वजनों का इंतजार कर रहे हैं।
पाकिस्तान की जेलों में किए गए टार्चर का पता इसी बात से लग जाता है कि शमशूद्दीन को छोड़कर अन्य चार भारतीयों का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। तीन तो इतने सहमे हैं कि बात करने से भी डर जाते हैं। घनश्याम और बिरजू की स्वजनों से फोन पर बात हो चुकी है। घर जाने की बात सुन मुस्कुरा देते हैं, लेकिन जेल की बात करने पर सहम जाते हैं। सभी को नारायणगढ़ स्थित हेल्थ क्लब में क्वारंटाइन किया है। अब तक किसी का भी कोविड टेस्ट नहीं किया गया है।
कानपुर के कंगी मोहल्ला के शमशूद्दीन ने बताया कि वर्ष 1992 में उसकी दोस्ती पाकिस्तान से आए युवक से हो गई। युवक के वापस जाने के बाद वह भी 90 दिन का वीजा लगवाकर पाकिस्तान पहुंच गया और उसी दोस्त के पास रहा। दो महीने बाद वहां फसाद शुरू हो गए। उसका वीजा खत्म हो गया और वह भारत नहीं लौट पाया।
वर्ष 1994 में वह पाकिस्तान का नागरिक बना गया। कभी जूते बेचे तो कभी रिक्शा चलाया। इसके बाद उसने पत्नी और दो बेटियों को पाकिस्तान बुलाया और उनके भी पाकिस्तानी पासपोर्ट बनवा लिए। वर्ष 2007 में शमशूद्दीन का परिवार भारत आया और डेढ़ माह रहने के बाद पाकिस्तान लौट गया। दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद माहौल खराब हो गया। उसने पत्नी और बेटियों को भारत भेज दिया और उनकी शादी कर दी।
जासूसी के आरोप लगाकर जेल में डाला
वर्ष 2010 में शमशूद्दीन के पाकिस्तानी पासपोर्ट की अवधि खत्म हो गई। दोबारा आवेदन करने पर उसे वर्ष 2012 में उस पर जासूसी के आरोप लगाकर पकड़ लिया गया। उसके तीन रिक्शे, एक मोटरसाइकिल और 1.30 लाख रुपये पुलिस ने जब्त कर लिए। वर्ष 2017 में उसने अपनी पांच साल की सजा पूरी कर ली। 10 अक्टूबर 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के आदेश दिए। पाकिस्तान पुलिस ने उसका सामान वापस नहीं किया।
मां से झगड़ा कर जम्मू-कश्मीर गया था घनश्याम
छत्तीसगढ़ के घनश्याम कुमार ने भी लाहौर सेंट्रल जेल में करीब छह साल सजा काटी है। उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है। वह इतना बता पाया कि मां के साथ झगड़ा कर वह जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में मजदूरी करने चला गया था। इस दौरान वह सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया। करीब छह साल जेल में सजा काटने के बाद अब उसकी रिहाई हुई। आंध प्रदेश के सतीश और उत्तर प्रदेश के ललितपुर के सोनू सिंह की मानसिक हालत ठीक नहीं है। अब तक इनके स्वजनों से संपर्क नहीं हो पाया है।
बिरजू को लेने आएगी ओडिशा पुलिस
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के थाना कुतरा के प्रभारी सुशांत परिदा का कहना है कि बिरजू की रिहाई की सूचना उन्हें मिल गई है। बिरजू का शादीशुदा बहन के अलावा कोई नहीं है। एसडीएम ने अमृतसर से बिरजू को लाने के लिए टीम भेजने के आदेश दिए हैं।