भारतीय दल आज (18 अगस्त) से शुरू होने वाले 18वें एशियाई खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लक्ष्य के साथ उतरेगा. एशियाई खेल-2018 इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग में आयोजित होंगे. इन खेलों में 45 देशों के 11,000 खिलाड़ी भाग लेंगे. एशियन गेम्स का समापन 2 सितंबर को होगा.
शनिवार को भारतीय समयानुसार शाम 5.30 बजे से उद्घाटन समारोह में भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा तिरंगा थामे भारतीय दल की अगुवाई करेंगे. ओपनिंग सेरेमनी का प्रसाण सोनी पर देखा जा सकता है. रविवार से विभिन्न खेलों की स्पर्धाओं की शुरुआत होगी.
एशियाई खेलों की तैयारियां काफी तनावपूर्ण रहीं, जिसमें चयन संबंधित शिकायतों और अदालती कार्रवाई के अलावा हमेशा की तरह दल की संख्या 804 (एथलीट और अधिकारियों को मिलाकर) को लेकर विवाद शामिल रहा तथा सबसे अहम दल के साथ पहुंचे अधिकारियों की छवि पर उठे सवाल रहे.
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद ज्यादातर खिलाड़ियों और उनके कोचों ने स्वीकार किया है कि चीन, जापान और कोरिया जैसे ताकतवर देशों की मौजूदगी में उसके लिए चुनौती काफी मुश्किल होगा, हालांकि इससे न तो उत्साह और न ही उम्मीदों में कमी आई है. भारत ने 2014 एशियाड में 11 स्वर्ण सहित 57 पदक हासिल किए थे. इस बार 572 खिलाड़ियों के दल से इससे बेहतर की उम्मीद होगी.
पदक दावेदारों में हरियाणा की 16 साल की निशानेबाज मनु भाकेर से लेकर पहलवान सुशील कुमार तथा फॉर्म में चल रहे और लगातार नई ऊंचाइयां छू रहे भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा शामिल हैं. दल में हिमा दास जैसी एथलीट मौजूद हैं जो अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. असम के किसान की बेटी ने इसके बाद उम्मीदें काफी बढ़ा दी हैं.
बैडमिंटन कोर्ट पर पीवी सिंधु फाइनल के मिथक को तोड़ना चाहेंगी. लेकिन एक बार फिर उन्हें इस खेल के मजबूत देशों चीन, थाईलैंड और जापान के खिलाड़ियों की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा. साइना नेहवाल भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेंगी, हालांकि देखना होगा कि उनका शरीर उनका साथ कैसे देता है क्योंकि अब तक का सत्र काफी चुनौतीपूर्ण रहा है.
भारत कुश्ती मैट पर भी अच्छे प्रदर्शन की आस कर सकता है, जिसमें फॉर्म में चल रहे बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को पदक के पक्के दावेदारों के रूप में देखा जा रहा है. पूनिया राष्ट्रमंडल खेलों में ही नहीं, बल्कि जकार्ता खेलों से पहले तबलिसी ग्रां प्री और यासर दोगु अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी वह चैंपियन रहे.
पुरुष हॉकी टीम स्वर्ण पदक जीतकर सीधे 2020 ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने के लक्ष्य के साथ उतरेगी. टीम हाल में चैंपियंस ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के बाद उपविजेता रही थी और उसके सामने ज्यादा कड़ी चुनौतियां नहीं होंगी, इसलिए अगर वह स्वर्ण के बिना लौटती है तो यह निराशाजनक ही होगा.
महिला टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में ऐतिहासिक स्थान बनाने से चूक गई, लेकिन रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और वह इंचियोन में कांस्य पदक के रंग को बदलना चाहेगी.
मुक्केबाजी रिंग में भी कुछ मजबूत भारतीय खिलाड़ी जैसे विकास कृष्ण, शिवा थापा और तेजी से ऊपर बढ़ते गौरव सोलंकी भारतीय पुरुष चुनौती का प्रतिनिधित्व करेंगे. महिलाओं में विश्व रजत पदकधारी सरजूबाला देवी भी पदक की दावेदार होंगी.
टेनिस दल पहले ही अजीब तरह के ड्रामे का सामना करना रहा है और यह हर बड़े टूर्नामेंट में उसका ट्रेडमार्क बनता जा रहा है. लिएंडर पेस के अंतिम समय पर हटने से कोच कम कप्तान जीशान अली को पुरुष और मिश्रित युगल के जोड़ीदारों का चयन करना होगा.
वहीं, विश्व चैंपियन मीराबाई चानू की अनुपस्थिति में भारतीय चुनौती भारोत्तोलन में कमजोर हुई है. टेबल टेनिस में मनिका बत्रा राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्णिम प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगी, लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ड्रॉ में चीन और जापान के खिलाड़ी शामिल हैं. चोट से वापसी करने वाली दीपा करमाकर जिम्नास्टिक के वॉल्ट स्पर्धा में अपना लोहा मनवाना चाहेंगी.