बीते 6 वर्षों में हमारी सरकार ने पुरानी स्थिति को बदलने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया है: PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अटल टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ताकत देने वाली है. ये विश्व स्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता-जागता उदाहरण है. पीएम मोदी ने कहा कि बीते 6 वर्षों में हमारी सरकार ने पुरानी स्थिति को बदलने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया है. हिमालय क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, कारगिल, लेह-लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम में अनेकों प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा चुके हैं. साथ ही दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है.

लाहौल घाटी के बाशिंदों के लिए आज बड़ा दिन है. सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण ‘अटल टनल’ का उद्घाटन किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतांग में आज (शनिवार) दुनिया की सबसे बड़ी ‘अटल टनल’ का लोकार्पण किया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे. यह सुरंग 9.02 किमी लंबी है.

टनल के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है. पीएम मोदी ने कहा, मेरा सौभाग्य है कि मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है. अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है. इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं.

पीएम मोदी ने कहा कि अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफलाइन बनेगी. लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी. अटल टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी. पीएम मोदी ने कहा कि पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है.

रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी ये टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है. इस टनल की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक-दूसरे से जुड़े रह सकेंगे. इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी.

बता दें कि ‘अटल टनल’ का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक की मदद से पीर पंजाल की पहाड़ियों में किया गया है. ये समुद्र तट से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ‘अटल टनल’ के बन जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है और दोनों स्थानों के बीच सफर में लगने वाले समय में 4 से 5 घंटे की कमी आएगी.

‘अटल टनल’ का आकार घोड़े की नाल जैसा है. इसका दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6 x 2.25 मीटर का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वार बना हुआ है. ‘अटल टनल’ से रोजाना 3000 कारें, और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से निकल सकेंगे.

‘अटल टनल’ में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. हर 150 मीटर की दूरी पर टेलीफोन की व्यवस्था की गई है ताकि आपात स्थिति में संपर्क स्थापित किया जा सके. हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशमन यंत्र रखे गए हैं. 250 की दूरी पर सीसीटीवी की व्यवस्था है.

वायु की गुणवत्ता जांचने के लिए हर 1 किलोमीटर पर मशीन लगी हुई हैं. गौरतलब है कि रोहतांग दर्रे के नीचे इसको बनाने का फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी.

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