निजी लैबों की कोरोना जांच में संक्रमण दर 50 फीसद तक पहुंच जाने का संज्ञान अब मानवाधिकार आयोग ने भी लिया है। आयोग के अध्यक्ष विजय कुमार बिष्ट ने कहा कि यदि लाभ कमाने के लिए पॉजिटिविटी रेट बढ़ाने का खेल किया जा रहा है तो यह जनता के साथ धोखा है। इस मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व जिलाधिकारी देहरादून को नोटिस भेजकर 15 दिन में जवाब तलब किया है। प्रकरण में अगली सुनवाई अब 14 अक्टूबर को होगा।
आयोग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि एक लैब में 480 में से 400 सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आने आदि की खबरें दैनिक जागरण व अन्य पत्रों में प्रकाशित हैं। हालांकि, शासन के निर्देश पर प्रशासन ने निजी लैबों की जांच शुरू कर दी है, मगर यह मामला जनता की सेहत से जुड़ा है।
इस तरह की बात भी संज्ञान में आई है कि 10 पॉजिटिव व्यक्तियों ने जब अन्य लैब में जांच कराई तो उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई। यदि यह सही है तो मामला गंभीर है। क्योंकि पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उसके संपर्क वाले व्यक्ति भी जांच कराने को बाध्य हो जाते हैं। इसी तरह अनावश्यक रूप से अधिक से अधिक व्यक्ति जांच कराते हैं और पॉजिटिव आने पर कई निजी अस्पतालों का भी रुख कर रहे हैं। इससे निजी जांच व इलाज का कारोबार उसी अनुपात में बढ़ जाता है। आयोग ने नोटिस में कहा है कि संबंधित अधिकारी मामले में की गई जांच और उसके अनुरूप की गई कार्रवाई से आयोग को अवगत कराएं।