आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख को लेकर सोमवार को भी गोलीबारी हुई। इसमें 21 लोगों के मारे जाने की खबर है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर भारी तोपखाने का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इस विवादित क्षेत्र में रविवार को भड़की लड़ाई में भी 16 की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। 2016 के बाद दोनों देशों में यह सबसे भीषण लड़ाई है।
आर्मेनिया की संसद ने अजरबैजान के सैन्य हमले की निंदा की और आरोप लगाया कि उसे तुर्की से मदद मिल रही है। इस बीच, रूस में आर्मेनिया के राजदूत ने मॉस्को में कहा कि तुर्की ने करीब चार हजार सीरियाई लड़ाके अजरबैजान भेजे हैं। जबकि अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना ने ऊंचाई वाले सामरिक महत्व के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है। इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि यह लड़ाई बढ़ने पर रूस और तुर्की भी इसमें कूद सकते हैं, क्योंकि मॉस्को आर्मेनिया का रक्षा साझीदार है तो अंकारा अजरबैजान का समर्थक है।
बता दें कि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच रविवार को विवादित क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख में लड़ाई भड़क गई। इसमें कम-से-कम 16 लोगों के मारे गए थे, जबकि संघर्ष में सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। दोनों ओर से हवाई और टैंक से हमले किए गए। अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलियेव ने कहा है कि उनकी सेना को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने देश के कुछ हिस्सों में मार्शल लॉ लगाने का आदेश दिया। आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अजरबैजान के तीन टैंकों और दो हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया है। हालांकि अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इस दावे को खारिज किया है।
पूर्व सोवियत संघ के दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है। अजरबैजान इस क्षेत्र को अपना मानता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे इसी देश का हिस्सा माना जाता है। हालांकि 1994 की लड़ाई के बाद यह क्षेत्र अजरबैजान के नियंत्रण में नहीं है। इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के सैनिकों की भारी मौजूदगी है। करीब 4,400 किलोमीटर में फैले नागोर्नो-काराबाख का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है। गत जुलाई में भी दोनों पक्षों में झड़प हुई थी, जिसमें 16 लोगों की जान गई थी।