प्रदेश की सकल प्रजनन दर 2.7 से 2.1 पर लाने पर जोर
लखनऊ। प्रदेश के 13 जिलों में 01 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक ‘दो गज की दूरी, मास्क और परिवार नियोजन है जरूरी’ अभियान चलाया जाएगा। अभियान का उद्देश्य परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना और हर आशा कार्यकर्ता द्वारा कम से कम तीन लाभार्थियों को अंतराल विधियों जैसे-एक लाभार्थी को त्रैमासिक इंजेक्शन अंतरा, एक को पीपीआईयूसीडी व एक को आईयूसीडी की सेवा दिलाना है। यह अभियान आगरा, अलीगढ, एटा, इटावा, फतेहपुर, फिरोजाबाद, हाथरस, कानपुर नगर, कानपुर देहात, मैनपुरी, मथुरा, रायबरेली और रामपुर जिले में चलाया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के अपर मिशन निदेशक हीरा लाल के मुताबिक गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहां महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। वहीं यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने में भी सहायक है। आज विश्व गर्भनिरोधक दिवस के मौके पर भी लोगों को गर्भ निरोधक साधनों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसका उद्देश्य युवा दम्पति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर सूचित विकल्प देकर अपने परिवार के प्रति निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन तक उचित गर्भ निरोधक सामग्री (बास्केट ऑफ च्वाइस) पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है और इसके प्रचार-प्रसार के लिए ‘जरूरी है बात करना’ अभियान भी चलाया जा रहा है।
प्रदेश की सकल प्रजनन दर 2.7 से 2.1 पर लाने और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को गति देने के लिए प्रचार-प्रसार व जागरूकता पर पूरा जोर है। इसके लिए विवाह की उम्र बढ़ाने, बच्चों के जन्म में अंतर रखने, प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवायें, परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी, गर्भ समापन पश्चात परिवार नियोजन सेवाएं, स्थायी एवं अस्थायी विधियोंऔर प्रदान की जा रहीं सेवाओं की सेवा केन्द्रों पर उपलब्धता के बारे में जनजागरूकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो गर्भ निरोधक साधनों को अपनाने वालों की तादाद हर साल बढ़ रही थी। लेकिन, 2020-21 सत्र की शुरुआत ही कोरोना के दौरान हुई, जिससे इन आंकड़ों का नीचे आना स्वाभाविक था। हालांकि अब स्थिति को सामान्य बनाने की भरसक कोशिश की जा रही है।