कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना आज हो रही है. परिणाम कुछ ही घंटे में सामने आ जाएंगे. ऐसे में हम आपको एक ऐसी सीट के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई बार कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है. कोरातगेरे सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व गृह मंत्री जी. परमेश्वर भी चुनाव लड़ते रहे हैं. पिछली बार तो जेडी (एस) कैंडिडेट ने उन्हें हरा दिया था. कोरातगेरे सीट पर बीते पांच चुनावों में से चार बार जेडीएस ने कांग्रेस को पटखनी दी है. पिछले 12 विधानसभा चुनावों में से छह में कांग्रेस तो चार में जेडीएस ने जीत दर्ज की है.
सीट संख्या-134 कोरातगेरे
कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र संख्या-134 यानी कोरातगेरे निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यह तुमकुर जिले के अंतर्गत आता है. चुनाव आयोग ने क्षेत्र में कुल 237 पोलिंग स्टेशन बना रखे थे. क्षेत्र में कुल 1,99,725 मतदाता हैं. इनमें 1,00,292 पुरुष और 99,350 महिला मतदाता हैं.
एक अनुमान के अनुसार, इस इलाके में 60,000 एससी और 20,000 एसटी मतदाता हैं. लिंगायत मतदाता करीब 20,000 और वोक्कालिगा मतदाता करीब 30,000 हैं. इनके अलावा, मुस्लिम, कुरुबा, गोला समुदाय के मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं.
साल 2013 के विधानसभा चुनावों में जेडी (एस) के सुधाकर लाल 72,229 वोट हासिल कर जीते थे. दूसरे स्थान पर रहने वाले कांग्रेस के जी. पमरेश्वर को 54,074 वोट मिले थे. कांग्रेस ने इस बार भी जी. परमेश्वर को अपना उम्मीदवार बनाया था, तो बीजेपी से वाई.एच. हुचैया कैंडिडेट थे. इनके अलावा, एआईएमईटी से सत्यप्पा चुनाव मैदा में थे. इस सीट पर कुल 11 कैंडिडेट ने अपने भाग्य आजमाए.
वाई.एच. हुचैया साल 2013 में पहली बार बीजेपी से चुनाव लड़े थे. हालांकि उन्हें पिछली बार महज 3,000 वोट हासिल हुए थे. वह तब जेडी (एस) से बीजेपी में आए थे. जेडी (एस) ने मौजूदा विधायक पी.आर. सुधाकर पर फिर भरोसा जताते हुए उन्हें इस बार टिकट दिया था. पेशे से वकील सुधाकर लाल की राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से हुई थी. 1989 में वह कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के तुमकुर जिला अध्यक्ष चुने गए थे. साल 2004 में वह के.एन. राजन्ना के साथ कांग्रेस का दामन छोड़कर जेडी-एस में शामिल हो गए थे.
सीएम बनते-बनते रह गए थे जी. परमेश्वर
कांग्रेस ने इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जी. परमेश्वर को कोरातगेरे से चुनाव मैदान में उतारा. साल 2013 में उनका इस सीट से हार जाना दुखद था, क्योंकि वह सिद्धारमैया के मुकाबले सीएम पद के दावेदार माने जाते थे. परमेश्वर को साल 2010 में राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वह राज्य के गृह मंत्री रह चुके हैं. वह पिछली बार हार गए थे, लेकिन इसके पहले चार बार विधायक चुने जा चुके हैं. वह पेशे से कृषि वैज्ञानिक थे और साल 1989 में राजीव गांधी के अनुरोध पर कांग्रेस में शामिल हुए थे. 66 वर्षीय परमेश्वर एक संपन्न दलित परिवार से आते हैं और तुमकुर में उनका परिवार सिद्धार्थ ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स चलाता है.