हर श्राद्ध समाप्त होते ही अगले दिन से नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि होती है तथा कलश स्थापना की जाती है। किन्तु इस वर्ष ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध खत्म होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्रि 20-25 दिन आगे चले जाएंगे। इस वर्ष दो माह अधिकमास लग रहे हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दरअसल लीप साल होने की वजह से ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार माह का होता है, इस बार पांच माह का होगा।
वही यदि ज्योतिष की मानें तो 165 वर्ष पश्चात् लीप वर्ष तथा अधिकमास दोनों ही एक वर्ष में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से शादी, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास तथा साधना का खास महत्व होता है। इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के पश्चात् ही देव जागते हैं। साथ ही इस वर्ष 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध समाप्त होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास आरम्भ हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा।
तत्पश्चात, 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके पश्चात् 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ-साथ चातुर्मास खत्म होंगे। इसके पश्चात् ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि आरम्भ होंगे। विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार पैदा होते हैं। इस मास में दुर्घटना, सुसाइड आदि जैसी घटनाओं की अधिकता होती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही जगह पर गुरु मतलब ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है। वही इस दौरान इन सभी चीजों का ध्यान देना अनिवार्य है।