चीन के मसले पर विपक्ष में हुआ विभाजन, कांग्रेस को विपक्ष का नहीं मिला पूरा समर्थन

संसद सत्र शुरू होने के पहले ऐसा लग रहा था कि लद्दाख में चल रहे भारत चीन सीमा विवाद पर संसद में सरकार और विपक्ष आमने सामने होंगे. दोनों पक्षों में ज़ोरदार बहस होगी लेकिन जब इस मामले पर संसद में बहस करवाने की बात आई तो विपक्ष एकजुट नहीं रह सका.

मंगलवार को लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बयान दिया. सत्र शुरू होने के पहले से ही सरकार से इस विषय पर बयान देने की मांग होती रही थी. राजनाथ सिंह के बयान के बाद कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उनसे कुछ स्पष्टीकरण मांगा लेकिन स्पीकर उसके लिए तैयार नहीं हुए. इस बात से नाराज़ होकर कांग्रेस ने वॉक आउट करने का फ़ैसला किया. लेकिन कांग्रेस को वॉकआउट में ज़्यादा दलों का साथ नहीं मिला.

कांग्रेस के साथ केवल डीएमके के सदस्यों ने ही वाक आउट किया. जबकि मोदी सरकार की प्रखर विरोधी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन में बैठे रहे. तृणमूल कांग्रेस के अलावा बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी और लेफ्ट पार्टी के सदस्यों ने भी कांग्रेस का समर्थन नहीं किया.

इसके पहले जब लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन के बिजनेस एडवाइजरी कमिटी की बैठक हुई तो उसमें भी यही नज़ारा देखने को मिला. बैठक के बिल्कुल आख़िरी में जब कमिटी के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से चीन के मसले पर राजनाथ सिंह के बयान के सदन में चर्चा की मांग की तो कमिटी के दूसरे सदस्य और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने उनका समर्थन नहीं किया.

उल्टे, बनर्जी ने अधीर चौधरी की बात का विरोध करते हुए कहा कि ये मामला बेहद संवेदनशील है लिहाज़ा इस पर रक्षा मंत्री के बयान के बाद चर्चा करना ठीक नहीं होगा.

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