शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बगैर नाम लिए इशारो में शीर्ष अदालत और भाजपा पर हमला बोला है. सामना में लिखा हैं कि आज भी स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ये कोरोना महामारी के कारण बनी परिस्थिति है. सीधी-सी बात थी कि बच्चों की जान बचाएं या एग्जाम लें? सुप्रीम कोर्ट ने अब स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा होकर रहेगी! परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जा सकती है, किन्तु परीक्षा लेनी ही होगी.
राज्य में परीक्षा लिए बगैर विद्यार्थियों को आगे नहीं भेजा जा सकता, ऐसा अदालत का कहना है. यह गलत नहीं है, किन्तु राज्य सरकार भी कुछ अलग कहां कह रही थी? फिलहाल परीक्षा लेना मुश्किल है. कोरोना की वजह से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. इसमें विद्यार्थियों और शैक्षणिक क्षेत्र भी शामिल है. देश के शिक्षा मंत्री कहते हैं कि, ‘किसी भी कीमत पर परीक्षा ली जाए. ऐसी विद्यार्थियों और उनके पेरेंट्स की मांग है.’ अब किसी भी कीमत पर मतलब क्या? विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारियों की जिंदगी की कीमत पर क्या? इसका जवाब देश के शिक्षा मंत्री को देना ही चाहिए.
सामना में लिखा है कि देश-विदेश के कुछ शिक्षाविदों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि ‘NEET और JEE परीक्षा टालो, विद्यार्थियों के भविष्य से मत खेलो’. कुछ लोग अपने सियासी एजेंडे को आगे लाने के लिए विद्यार्थियों के भविष्य से खेल रहे हैं, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. परीक्षा लेने में जल्दबाजी मत करो. विद्यार्थियों की जान से मत खेलो. ऐसा कहना सियासी एजेंडा कैसे हो सकता है?