कोरोना काल (CoronaVirus Era) में बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) पर रोक लगाने संबंधित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव करना निर्वाचन आयोग (Election Commission) का काम है आर कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी निर्वाचन आयोग ने अभी चुनाव का नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया है। ऐसी स्थिति में अभी से कोई आकलन करना उचित नहीं होगा। निर्वाचन आयोग हर बात का ध्यान रख कर ही चुनाव का कार्यक्रम घोषित करेगा। न्यायाधीश अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
पटना हाईकोर्ट में भी लंबित तीन याचिकाएं
विदित हो कि याचिकाकर्ता ने अपनी लोकहित याचिका में अभी तक निर्वाचन आयोग की टीम के बिहार का दौरा नहीं करने को आधार बनाया गया था। ऐसी तीन याचिकाओं पर सुनवाई अभी पटना हाईकोर्ट में भी लंबित हैं। ये तीनों याचिकाएं भी कोरोना के संक्रमण और बाढ़ की विभीषिका के मद्देनजर चुनाव को फिलहाल स्थगित करने की मांग से संबंधित हैं।
याचिका में किन्हें बनाया गया था पार्टी, जानिए
सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार जायसवाल ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग समेत सरकार के छह महकमों को पार्टी बनाया था। मुख्य चुनाव आयुक्त, बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी, बिहार के मुख्य सचिव बिहार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और केंद्रीय गृह सचिव पार्टी बनाए गए थे।
कोरोना काल में चुनाव के लिए दिशा-निर्देश पहले ही जारी
बताते चलें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कुछ राजनीतिक दलों ने निर्वाचन अायाग से चुनाव को टालने की मांग की थी। लेकिन बताया जा रहा है कि चुनाव समय पर ही होगा। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होने वाला है। माना जा रहा है कि इसके पहले अक्टूबर-नवंबर के बीच किसी भी समय चुनाव हो सकता है। निर्वाचन आयोग ने कोरोना संक्रमण के दौर में चुनाव के लिए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।