हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो उसे शुरू करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है. ऐसे में आप जानते ही होंगे शादी-विवाह हो या मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश हों या माता की चौकी सभी शुभ कार्यों से पहले गणेशजी को पूजा जाता है. वहीं बहुत कम लोग जानते हैं ऐसा क्यों…? तो आइए आज हम आपको बताते हैं ऐसा क्यों.
पौराणिक कथा- एक बार देवताओं के बीच में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि धरती पर किसकी पूजा सबसे पहले की जाएगी. सभी देवतागण खुद को सबसे श्रेष्ठ बनाने लगे. तब नारदजी ने इस स्थिति को देखते हुए शिवजी की शरण में जाने की सलाह दी. जब सभी देवता शिवजी के पास पहुंचे तो उन्होंने सभी के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन रखा. उन्होंने सभी देवताओं से अपने-अपने वाहन पर बैठकर संपूर्ण ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा. जो भी परिक्रमा करके सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा, धरती पर उसकी ही पूजा की जाएगी.
सभी देवताअपने-अपने वाहन पर सवार होकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल पड़े. मगर गणेशजी अपने वाहन मूषक पर सवार नहीं हुए. वह ब्रह्मांड का चक्कर लगाने की बजाए अपने माता-पिता के चारों ओर परिक्रमा करने लगे. उन्होंने माता-पिता के चारों ओर 7 बार परिक्रमा की और हाथ जोड़कर खड़े हो गए. जब सभी देवता ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर लौटे तो गणेशजी को वहीं पर खड़ा पाया. अब शिवजी प्रतियोगिता के विजेता को घोषित करने चल दिए. उन्होंने गणेशजी को विजयी घोषित किया. सभी देवता आश्चर्य में पड़ गए कि सभी देवता पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए हैं उन्हें छोड़कर गणेशजी को क्यों विजेता घोषित किया गया. तब शिवजी ने बताया कि पूरे ब्रह्मांड में माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है और गणेशजी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की है, इसलिए वह सभी देवताओं में सबसे पहले पूजनीय हैं. तभी से गणेशजी की पूजा सबसे पहले होने लगी. सभी देवताओं ने शिवजी के इस निर्णय को स्वीकार किया.