केन्द्रीय कैबिनेट : अब शिक्षा मंत्रालय होगा एचआरडी का नाम
तकनीकी शिक्षा को देंगे बढ़ावा, दिव्यांगजनों का विशेष ख्याल
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक के बाद उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनिता करवल ने प्रेस वार्ता के दौरान एक प्रस्तुति दी जिसमें नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए। इसमें (लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर) उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा। इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है। नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है। खरे ने बताया कि आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी । यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है। जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। नई व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एफफिल करने से छूट की भी एक व्यवस्था की गई है।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा, शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 फीसदी खर्च हो रहा है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने का लक्ष्य है और केंद्र एवं राज्य मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जायेगा। इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
वहीं, स्कूली शिक्षा सचिव अनिता करवल ने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं और अब नया पाठ्यचर्या आयेगा । इसी प्रकार से शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं, इसमें भी सुधार होगा। बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है। बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का माध्यम पांचवी कक्षा तक मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घर की भाषा में हो। बालिकाओं के लिए लैंगिक शिक्षा कोष की बात कही गई है। करवल ने कहा कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप मे बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं आनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी। नई शिक्षा नीति को लेकर समाज के सभी वर्गो के 2.25 लाख सुझाव आए और जो सुझाव आए हमने उनका व्यापक विश्लेषण किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था जब निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था।