-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सचिवालय, जहां सिर्फ प्रदेश की जनता के लिए नीतियों का खाका ही नहीं तैयार किया जाता बल्कि नीतियों का अनुपालन भी सुनिश्चित कराया जाता है। इसके लिए बहुत पहले ही बकायदा एक व्यवस्था यानि ‘सिस्टम’ बनाया गया है। इसी के तहत सरकार की नीतियों और योजनाओं को अमलीजामा पहना कर सूबे की जनता को संतृप्त किया जाता है। इस सब के बावजूद दिलचस्प तथ्य यह है कि जिन पदों पर सरकार की नीतियों को धरातल पर उतारने और अव्यवस्था होने पर उसे व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी है वही पद बीते कई वर्षों से खाली चल रहे हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश सचिवालय में विभिन्न विभागों के अनुभाग अधिकारियों के सैकड़ों पद रिक्त हैं और उन पर नियमानुसार ‘पात्र’ व्यक्ति की नियुक्ति किए जाने के बजाए ‘अपात्रों’ से ही किसी तरह ‘काम’ चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पात्र कर्मी प्रोन्नति पाये बिना या तो सेवानिवृत्त हो गये हैं या फिर अवसादग्रस्त हो गये हैं।
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सचिवालय में समीक्षा अधिकारी की अनन्तिम ज्येष्ठता सूची 18 अगस्त 2018 को जारी हुई थी। लेकिन इसे अंतिम रूप में जारी करने में नौ माह का समय लगा और तीन अप्रैल 2019 को यह सूची जारी कर दी गयी। यह सही है कि अन्तिम ज्येष्ठता सूची निर्विवाद होती है। समीक्षा अधिकारी की अन्तिम ज्येष्ठता सूची के जारी हो जाने के बाद अनुभाग अधिकारी के रिक्त पदों को भरने के लिए विभागीय चयन समिति की बैठक बुलाये जाने की व्यवस्था है। लेकिन विभागीय चयिन समिति की बैठक ही नहीं आहूत की जा रही है। यही वजह है कि कई कथित रूप से ‘अपात्र’ अनुभाग अधिकारी के पदों पर काबिज हैं। जबकि उनके अधीन ‘पात्र’ कर्मी काम करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे ‘पात्र’ कर्मी अपने अधीनस्थों के अधीन कार्य करते हुए सेवानिवृत्त तक हो चुके हैं।
सचिवालय प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सचिवालय में विभिन्न विभागों में अनुभाग अधिकारी के रिक्त पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया बीते करीब तीन वर्षों से ‘अज्ञात’ कारणों से लम्बित है। सूत्र बताते हैं कि मार्च 2020 यानि कोरोना काल से पहले सचिवालय के विभिन्न विभगों में अनुभाग अधिकारी के 170 पद रिक्त चल रहे हैं। यही वजह है कि अनुसचिव व अनुभाग स्तर के अधिकारी ही दो से तीन विभागों के अनुभाग अधिकारी होने का दायित्व भी निभा रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सचिवालय में अनुभाग अधिकारी के कुल 376 पद ही हैं। साफ है कि 376 में से यदि 170 पद रिक्त होंगे तो विभागीय कार्यों की गति मंद होगी। यह भी दिलचस्प है कि अनुभाग अधिकारी के पद पर पदोन्नति पर किसी प्रकार की कोई कानूनी अड़चन नहीं है लेकिन बावजूद इसके सचिवालय प्रशासन अपने ही हिसाब से कार्य कर रहा है। बहुत संभव है कि इस पूरी प्रक्रिया में कहीं न कहीं कुछ ‘अनकही’ भी हो सकती है।