‘हैलो बॉस, आज कैंटीन में तुमने मुझे पहचाना नहीं?’ एक कैदी ने जब रिचर्ड से यह कहा तो रिचर्ड ने पूछा कि ‘क्या तुम मुझे जानते हो?’ उस कैदी ने कहा – ‘क्या बॉस, भूल गए. हम तीन साल पहले एक जेल में साथ रहते थे.’ उसे गलतफहमी होने की बात कहते हुए रिचर्ड वहां से चला गया. रिचर्ड अक्सर हैरान ही रहता था कि एक तो वह उस जुर्म के लिए जेल में है जो उसने किया ही नहीं और यहां उसे कोई पहचानता है जिससे वह कभी मिला ही नहीं!
जेल में रिचर्ड की यह उधेड़बुन बराबर बनी हुई थी. कभी कोई उसे पहचानने का दावा करता और रिचर्ड उस कैदी को नहीं पहचान पाता. रिचर्ड जेल में था और उसे हमेशा याद आता था 31 मई 1999 का वह दिन जब रिचर्ड की गर्लफ्रेंड की बर्थडे पार्टी चल रही थी. म्यूज़िक बज रहा था, केक काटा जा रहा था, ड्रिंक्स बनाए जा रहे थे और रिचर्ड के सभी दोस्त खूब मस्ती कर रहे थे. सुबह से ही रिचर्ड गर्लफ्रेंड के साथ था और दिन खत्म होते-होते उसके और भी दोस्त पार्टी के लिए उन दोनों के साथ जुड़ चुके थे.
उसी दिन अमेरिका के कैन्सस शहर के ही दूसरे कोने में एक वारदात हो रही थी. एक कार में बैठे तीन लड़के क्रैक कोकीन का नशा कर रहे थे. जैसे ही कोकीन खत्म हो गई तो तीनों ने और नशे के जुगाड़ के बारे में सोचा. उन्हें रिक का खयाल आया जो उन्हें कोकीन दिलवाता था. तीनों ने कार स्टार्ट की और उस डुप्लेक्स के नीचे पहुंचे जहां रिक रहता था. रिक बाहर आया और कार की फ्रंटसीट पर बैठकर उनके साथ चला गया.
यह कार नज़दीक के ही वॉलमार्ट स्टोर की पार्किंग में जाकर रुकी. रिक कार से नीचे उतरा और उसने वहां एक महिला का पर्स छीन लिया. महिला ने विरोध किया तो रिक ने उसके साथ धक्कामुक्की की और फिर इस डर से कि महिला किसी को फोन न कर दे, रिक ने उसका फोन भी छीन लिया. रिक के साथी उसे आवाज़ देकर भागने को कह रहे थे. ये चीज़ें छीनकर रिक कार में बैठकर अपने साथियों के साथ फरार हो गया. इस महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और लुटेरे रिक का ब्योरा भी.
कुछ दिनों की तफ्तीश के बाद पुलिस को यह पता था कि यह लुटेरा काले बालों वाला सांवले रंग या हिस्पैनिक जैसा, दुबली कद काठी का कोई आदमी है. महीनों की जांच के बाद पुलिस ने गवाहों की मदद से यह तय कर लिया था कि यह लुटेरा रिचर्ड है जो रिक नाम से भी जाना जाता है. फिर पुलिस रिचर्ड के घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया. लूट की जिस घटना का इल्ज़ाम रिचर्ड पर लगाया गया, वह दिन उसे इसलिए याद था क्योंकि वह उसकी गर्लफ्रेंड का जन्मदिन था.
रिचर्ड और उसके दोस्तों ने यही गवाही दी कि उस दिन रिचर्ड अपनी गर्लफ्रेंड और दोस्तों के साथ पार्टी कर रहा था. उधर, पुलिस और कोर्ट के सामने लूट की शिकार महिला ने रिचर्ड को पहचान कर गवाही दी कि यही वह लुटेरा था जिसने उस दिन पार्किंग में उसके साथ लूटपाट की थी. कोर्ट में इस गवाही के बाद रिचर्ड को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है तब उसने कहा -रिचर्ड : आप ऐसा क्यों कह रही हैं? मैंने कब आपके साथ लूटपाट की?
टैमेरा : तुमने ही मेरा पर्स और फोन छीना था, मुझे अचछी तरह याद है. मैं तुम्हारी शक्ल कैसे भूल सकती हूं.
रिचर्ड : योर आॅनर, मेरा यकीन कीजिए, मैं सच कह रहा हूंं.
जज : आपने पांच संदिग्धों को देखकर मिस्टर रिचर्ड को लुटेरा बताया है. क्या आपको पूरा यकीन है कि इसी शख्स ने लूटपाट की थी?
टैमेरा : यस योर आॅनर, यही था वो.
रिचर्ड : नो योर आॅनर, वो मैं नहीं था. मेरे कितने दोस्त आपको बता चुके हैं कि उस दिन मैं उनके साथ था.
वकील : वो आपके दोस्त हैं, आपको बचाना चाहते हैं. योर आॅनर मैं आरोपी के लिए कड़ी सज़ा की मांग करता हूं.
रिचर्ड यही दोहराता रहा कि वह बेगुनाह लेकिन कोर्ट ने उसे 19 साल की कैद की सज़ा सुनाई और उसे जेल भेज दिया गया. जेल पहुंचे रिचर्ड को ऐसे कैदी कभी-कभी मिलते रहे जो उसे पहचानने का दावा करते थे और पहले किसी जेल में साथ होने की बात कहते थे. रिचर्ड को समझ नहीं आता था कि ऐसी गलतफहमी क्यों होती है. इधर, रिचर्ड की वकील एलिस ने कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर निजी तहकीकात की.
इस तहकीकात में वक्त बहुत लगा लेकिन यह खुलासा हुआ कि रिक कुछ मामलों में सज़ायाफ्ता रह चुका था. रिक की शक्ल रिचर्ड से बेहद मेल खाती थी. एक नज़र में देखकर कोई भी दोनों को अलग-अलग पहचान नहीं सकता था. दोनों तकरीबन एक-दूसरे के हमशक्ल थे. यह खुलासा होते ही एलिस ने किसी तरह टैमेरा को खोजा और फिर उसे सारा मामला बताया. तब टैमेरा ने कहा कि उससे शायद गलती हुई और इस कदर हमशक्ल होने के कारण वह उस वक्त अपने बयान पर इतनी अडिग थी.
एलिस ने किसी तरह इस नये खुलासे के साथ कोर्ट को फिर सुनवाई करने को राज़ी किया और रिक को भी अदालत में पेश किया गया. हालांकि रिक ने वह वारदात करना नहीं कबूला और समय बहुत बीत जाने के कारण नये सिरे से जांच करना मुश्किल था. फिर भी पीड़िता टैमेरा और कुछ चश्मदीदों की कश्मकश से उपजे एक जायज़ शक के आधार पर रिचर्ड को बेकसूर करार दिया गया और उसे जेल से रिहा कर दिए जाने का हुक्म सुनाया गया.
19 साल की कैद की सज़ा मिली थी और 17 साल जेल में रहने के बाद 41 साल के रिचर्ड को 2017 में आज़ादी मिली. इस बीच न तो वह अपने बच्चों को बड़े होते देख सका और न ही अपने परिवार के साथ जी सका. वह जीता रहा इन्हीं सवालों के साथ कि अचानक उसके साथ क्या हुआ और क्यों? उधर, किसी अपराध के लिए तय समयसीमा से ज़्यादा वक्त गुज़रने जाने संबंधी कानून के कारण इस मामले में रिक के खिलाफ कोई केस नहीं चल सका.