कानपुर की घटना से सतर्क हुई गोरखपुर पुलिस
गोरखपुर : कानपुर में अपराधियों द्वारा एक सीओ समेत 09 पुलिसकर्मियों को मारने की घटना के बाद पुलिस काफी सतर्क हो गयी है। अब इनकी धर-पकड़ के लिए ‘फ्रंट लाइन पुलिस फोर्स’ (विशेष कमांडो दस्ता) के गठन की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। फोर्स के जवानों को न केवल कमांडो ट्रेनिंग दी जाएगी बल्कि ये अत्याधुनिक हथियार चलाने में भी दक्ष होंगे। गोरखपुर रेंज के डीआईजी राजेश मोडक ने इसके लिए रेंज के चारों जिलों के पुलिस कप्तानों से 10-10 जवानों के नाम मांगे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि रेंज के चार जिलों के जवानों की कमांडो ट्रेनिंग के लिए डीआईजी मोदक ने एटीएस के एसपी से बात कर ली है। सूची मिलने का बाद कुछ जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी कर इन्हें ट्रेनिंग में भेज दिया जाएगा। ट्रेनिंग की तिथि वहीं से तय होगी।
एटीएस और एसटीएफ दबीश में कमांडो का इस्तेमाल होता है। हालांकि यह दबीश बड़े मामलों को लेकर ही होती है। किंतु कई बार ट्रेनिंग के अभाव में पुलिस गच्चा खा जाती है। शायद यही वजह है कि कई मामलों में पुलिस को मौका-ए-वारदात पर पिटते या भागने की सूचनाएं आती रहीं हैं। यह वजह है कि पुलिस अफसरों ने प्रत्येक जिले में दस-दस जवानों को कमांडो ट्रेनिंग दिलाने का निर्णय लिया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो कमांडो ट्रेनिंग लेने वाले चुनिंदा जवानों को ही अब जरूरत पड़ने पर फ्रंट लाइन पर भेजा जाएगा। ट्रेनिंग के बाद ये शारीरिक और मानसिक रूप से इतने पुष्ट हो जाएंगे कि किसी भी असंभावित घटना का भी सामना कर सकेंगे। अत्याधुनिक हथियारों से लैस ये जवान त्वरित गति से लक्ष्य को साधने में भी सक्षम होंगे।
डीआईजी राजेश डी मोदक द्वारा सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को भेजी गई चिट्ठी के मुताबिक विशेष कमांडो दस्ता के लिए तेज तर्रार व शारीरिक रूप से फिट 10-10 जवानों के ही नाम भेजे जांय। बताया जा रहा है कि इसके पीछे कानपुर और गोरखपुर में मारे गए बदमाश विपिन से हुए मुठभेड़ जैसे मौकों पर अच्छी तरह से प्रशिक्षण कमांडो पुलिसकर्मी ही बदमाशों का अच्छी तरह से सामना कर सकते हैं। इस सम्बन्ध में डीआईजी राजेश डी मोडक का कहना है कि रेंज के चारों जिलों में 10-10 कमांडो ट्रेनिंग वाले पुलिस जवान तैयार करने की कोशिश है। इन्हें कठिन हालात में फ्रंट लाइन पर बदमाशों का मुकाबला करने में सक्षम बनाया जाएगा। एटीएस के एसपी से बात की है और चारों जिले के पुलिस कप्तानों से 10-10 पुलिस जवानों के नाम मांगे गए हैं। नाम मिलते ही उनकी सूची एटीएस को भेज दी जाएगी। वहां से तय के कार्यक्रम के मुताबिक ट्रेनिंग पूरी कराई जाएगी।