69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में योगी सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में चयन प्रकिया जारी रखने को स्वतंत्र

लखनऊ। प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की डबल बेंच ने योगी सरकार को बड़ी राहत दी है। सरकार की तीन स्पेशल अपील पर आदेश सुनाते हुए एकल पीठ के 3 जून के आदेश को स्टे कर दिया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के 09 जून के आदेश के क्रम में भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है। बेंच ने विपक्षी अभ्यर्थियों को नोटिस भी जारी की है। उनसे स्पेशल अपील पर अपना-अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षा भर्ती प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद सरकार ने इसे रोक ​दिया था। वहीं इसके खिलाफ सरकार डबल बेंच गई, दो सदस्यीय इस खंडपीठ ने 03 जून के अंतरिम आदेश पर रोक लगाए जाने के बिंदु पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित करते हुए अभ्यर्थियों के अधिवक्ताओं को लिखित बहस 24 घंटे में दाखिल करने का निर्देश दिया था। तीनों अपीलें राज्य सरकार की ओर से परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण ने दाखिल की गईं। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। आज न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति डीके सिंह की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया है।

इसमें कोर्ट ने सरकार को भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के 21 मई व 9 जून के आदेश के क्रम में करने का निर्देश देने के साथ कहा है कि वह स्वतंत्र है। इसके प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है। इस तरह अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के 9 जून के आदेश से 37,339 पदों पर लगी रोक के अलावा शेष पदों पर भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाने को स्वंत्रत है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन पदों पर भर्ती में रोक लगाई है। वहीं इस मामले में भी प्रदेश के बेसिक बेसिक शिक्षा, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश द्विवेदी सुप्रीम कोर्ट में संशोधन की अपील करने की बात कह चुके हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 8 मई को उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पाया था कि कई प्रश्न और उनके उत्तर भ्रमित करने वाले हैं और कई तो प्रथम दृष्टया स्पष्ट तौर पर गलत प्रतीत हो रहे हैं। इस पर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें। सरकार इन्हें यूजीसी को प्रेषित करेगी और यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। इसके साथ ही 8 मई के बाद से सरकार द्वारा कराई गई सभी प्रक्रिया पर रोक लग गई थी।

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