गुजरात की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मंगलवार को इशरत जहां एनकाउंटर मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन की ओर से दाखिल रिहाई याचिका को खारिज कर दिया.
साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वो इस मामले में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दायर किए गए मामले में कानूनी कार्रवाई की अनुमति पत्र सरकार से लेकर आए जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले में वंजारा के वकील वीडी गज्जर का कहना है कि कोर्ट ने याचिका खारीज कर दी है, लेकिन कोर्ट ने सीबीआई को कहा है कि वो इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति पत्र को कोर्ट में पेश करे. दरअसल किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले जांच एजेंसी को सरकार का अनुमति पत्र पेश करना जरूरी होता है.
वहीं, इस मामले में गुजरात पुलिस के पूर्व डीजीपी पीपी पांडे को साक्ष्य के अभाव में फरवरी में ही आरोप मुक्त कर दिया गया था. वंजारा ने मामले में सामान आधार पर खुद को आरोप मुक्त किए जाने का आग्रह किया था. वंजारा ने अपनी याचिका में यही भी दावा किया था कि एजेंसी की ओर से दायर किया गया आरोपपत्र मनगढ़ंत है और इस मामले में उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं, साथ ही गवाहों के बयान भी काफी संदिग्ध हैं.
आरोप मुक्त करने की याचिका खारिज होने पर वंजारा ने कहा कि वो इस मामले में कुछ नही कहेंगे क्योंकि मामला कोर्ट में चल रहा है, वहीं एनके अमीन ने इस मामले में कहा कि पीपी पांडे को इसी ग्राउंड पर कोर्ट ने आरोप मुक्त किया हुआ है, पूरे मामले को समानता के आधार पर देखा जाना चाहिए.
अगली सुनवाई 7 सितंबर को है, जिसमें उसने सीबीआई से केस को आगे बढ़ाने की सरकारी अनुमति मांगी है, साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि 7 तारीख को ही इस मामले में आरोप तय किए जाएंगे. इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में मुख्य आरोपी डीजी वंजारा और एनके अमीन समेत 7 लोगों पर आरोप तय किए जाने हैं.
15 जून 2004 में मुंबई निवासी इशरत जहां (19), मित्र जावेद उर्फ प्राणेश और पाकिस्तानी मूल के जीशान जौहर और अमजद अली राणा को पूर्व पुलिस महीनिरीक्षक (आईजी) वंजारा की टीम ने अहमदाबाद के बाहरी इलाके में मार गिराया था. इशरत जहां और उसके मित्रों को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के मिशन पर आने वाले आतंकवादी करार दिया गया था. लेकिन बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला था कि यह फर्जी मुठभेड़ थी.