-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
जी हां… ये वही उत्तर प्रदेश है जहां एक तरफ बेरोजगार युवाओं की फौज खड़ी है तो दूसरी तरफ अनामिका शुक्ला जैसे सेटर भी हैं जो अपने सेटिंग व पैसे के दम पर एक साथ 25 कस्तूरबा स्कूलों में नौकरी करते हैं और सेलरी भी उठाते हैं। मामला खुलने के बाद अब बेसिक शिक्षा विभाग हरकत में आया है और जल्दी जल्दी अनामिका शुक्ला को सेवा से बर्खास्त कर जांच बैठा रहा है। …वास्तव में यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग बहुत भोला भाला है। अनामिका शुक्ला को बर्खास्त कर अपना पल्ला झाड़ने चला है।
अरे न्याय ऐसे नहीं मिलेगा जनाब…! पहले अपने 25 बेसिक शिक्षा अधिकारियों को बर्खास्त कर के तो दिखाइए, जिनके संरक्षण में इस तरह का खेल चल रहा था। अपने जिम्मेदार अधिकारियों की कमियों को तो सामने लाइये जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का पतीला लगा रहे। आखिर बिना इन अधिकारियों के खेल के ये खेल कहाँ सम्भव..! आप सही दिशा में जांच तो कराइये एक नहीं ऐसे कई अनामिका शुक्ला आपको मिलेंगे। इतना ही नहीं बेसिक में जितने बच्चों को मिड डे मील का भोजन कराया जाता है वो भी संख्या आपको नजर नहीं आएगी। वो तो रजिस्टर में संख्या दर्ज है जिसके दम पर हर महीने मोटी रकम अपनी जेब मे भरी जाती है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए अध्यापकों की नियुक्ति भी कमाई का एक मोटा जरिया है लेकिन मिड डे मील कमाई का स्वर्ग है। पूरे प्रदेश की जांच करा कर देख लीजिए बहुत बड़ा खेल सामने आयेगा। बेसिक शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा खेल फर्जी छात्र संख्या दिखाकर स्टॉप की नियुक्ति व मिड डे मील के भ्रष्टाचार की गंगोत्री में गोते लगाना है। फिलहाल अनामिका शुक्ला ने कनिका कपूर की तरह आगाह कर दिया है …. अब कैसे इस भ्रष्टाचार से आप पार पाएंगे ये आपको तय करना है। फिलहाल प्रदेश में हजारों फर्जी डिग्री धारी भी बेसिक शिक्षा में नौकरी करते हैं ये भी आये दिन सुनने को मिलता रहता है। जांच में कई को सेवा से छुट्टी भी की गई है। बहरहाल बेसिक शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार से पार पाइए उसके बाद शिक्षा का स्तर सुधारने का प्रयास करिये।