संतुलित आहार के साथ नींद पर भी ध्यान दें, अभिभावक भी बच्चों पर न डालें अनावश्यक दबाव : डॉ.सुनील पाण्डेय
लखनऊ : जिंदगी में कुछ करने व अच्छा मुकाम हासिल करने की चाह हर छात्र में होती है, जिसके लिए वह बहुत मेहनत करते हैं। जब परीक्षायें आती हैं तो वह तनाव से दो चार होते हैं। फरवरी व मार्च के महीने में परीक्षा का दौर होता है। इस समय छात्रों पर परीक्षा का दबाव होता है। अपने साथ छात्रों से आगे निकलने की होड़ व सर्वोत्तम अंक पाने की लालसा हर छात्र में होती है और जो छात्रों को तनावग्रस्त बनाती है। आजकल छात्रों पर उनके अभिभावकों का भी दबाव होता है कि वह परीक्षा में अपना शत प्रतिशत दें। छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी तनाव में होते हैं।
राज्य नोडल अधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य डॉ.सुनील पाण्डेय ने बताया केवल बोर्ड के इम्तिहान ही नहीं बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे नीट व जेईइ के छात्रों पर भी दबाव होता है। यह तनाव परीक्षा के परिणाम आने तक बना रहता है। तनाव से कोई लाभ तो होता नहीं हैं बल्कि इससे छात्रों को हानि ही होती है। छात्र तनावों का कैसे सामना करें, इस बारे में उनसे चर्चा करने की जरूरत है। डॉ.सुनील पाण्डेय का कहना है कि इन दबाव से उबरने के लिए छात्र इम्तिहान से पहले व बाद में काउंसलर के पास जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में मानसिक विकारों को पहचान करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। आगे भी हमारी योजना है कि मानसिक तनाव को कम करने के लिए स्कूलों में जाकर लाइफ स्किल ट्रेनिंग व स्ट्रेस मैनेजमेंट पर प्रशिक्षण देंगे।
परीक्षा के दौरान छात्रों की दिनचर्या में बदलाव होता है। बच्चे देर रात तक पढ़ते हैं। सोने व जागने का कोई समय भी निश्चित नहीं होता है। परीक्षा के दौरान जहां शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं वहीं खाने-पीने के समय में भी तब्दीली हो जाती है जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों पर अनावश्यक दबाव ना डालें। बच्चों को संतुलित आहार दें। यह प्रयास करें कि बच्चे अपनी नींद पूरी करें। साथ ही छात्रों को यह प्रयास करना चाहिए कि वह सकारात्मक सोच विकसित करें, नकारात्मक विचारों को दिमाग में आने ही ना दें। समय का उचित प्रबंधन करें।