नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा है कि राष्ट्रीय और राष्ट्रवादी इन दोनोंं शब्दोंं में अंतर है। राष्ट्रवादी शब्द पश्चिमी अवधारणा से निर्मित हुआ है। झील फाउंंडेशन और वेस्टर्न कोल फील्ड की साझेदारी में नागपुर के सोहम कॉम्प्लेक्स में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में वैद्य ने कहा कि संघ राष्ट्रीय है इसे राष्ट्रवादी नहींं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक को राष्ट्रवादी कहते हैंं। हम भी खुद को राष्ट्रवादी कहते हैंं, वहींं हमारे कुछ लोक हिन्दू राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग जोर-शोर से करते हैंं।
वैद्य ने बताया कि यह हमारा शब्द है ही नहींं, हमारे यहां राष्ट्रवाद पहले भी नहींं था और वर्तमान में भी नहींं है। यह शब्द पश्चिम से आया है। पश्चिमी जगत में स्टेट नेशन की संकल्पना रही है, वहां के नेशनलिज्म ने लोगोंं पर अत्याचार किये। सत्ता विस्तार के लिए युद्ध किये। भारत की राष्ट्र को लेकर अवधारणा सांस्कृतिक है। ये जीवन दृष्टि पर आधारित है। यह राज्य पर कभी भी आधारित नहींं थी। हम राष्ट्र, राष्ट्रीय, राष्ट्रीयता, राष्ट्रत्व इन शब्दों से अपनी बात कह सकते है, फिर हम पश्चिमी देशों द्वारा थोपा गया राष्ट्रवादी शब्द क्यों इस्तेमाल करते हैंं। वैद्य ने कहा कि हम राष्ट्रीय हैंं, इतना ही पर्याप्त है, हमको राष्ट्रवादी बनने की जरूरत नहींं है।
बडे़ पैमाने पर प्रचलित हो रहे कट्टर शब्द को लेकर सहसरकार्यवाह ने बताया कि कट्टर शब्द की निर्मिति अंग्रेजी भाषा के फंडामेंटलिज्म शब्द से हुई है। हमारे यहांं कई लोग कहते हैंं कि वह कट्टर हिंदू हैंं। वैद्य ने कहा कि हिंदू कभी कट्टर नहीं हो सकता और यदि कोई कट्टर है तो वह हिंदू नहींं हो सकता।