राष्ट्रपति के अभिभाषण से हुई बजट सत्र की शुरुआत
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया। कोविंद ने सीएए को लेकर चल रही आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं और किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके, भारत का नागरिक बन सकता है। उन्होंने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी क्षेत्र और विशेषकर नॉर्थ ईस्ट पर कोई सांस्कृतिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का फैसला ऐतिहासिक है। इससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। कोविंद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का तेज विकास, वहां की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा, पारदर्शी एवं ईमानदार प्रशासन और लोकतंत्र का सशक्तीकरण सरकार की प्राथमिकताओं में हैं। राष्ट्रपति शासन और केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास की सभी परियोजनाओं में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जहां मार्च 2018 तक जम्मू-कश्मीर में लगभग 3,500 घर बनाए गए थे, वहीं दो साल से भी कम समय में 24,000 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान इस संसद से और इस सदन में उपस्थित प्रत्येक सदस्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए देशवासियों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उनके लिए आवश्यक कानून बनाने की अपेक्षा भी रखता है। यह दशक भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इस दशक में हमारी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होंगे। सरकार के प्रयासों से पिछले पांच वर्षों में इस दशक को भारत का दशक और इस सदी को भारत की सदी बनाने की मजबूत नींव रखी जा चुकी है।