उपवास पर बैठे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) की केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ देर रात हुर्इ वार्ता विफल रही है। उमा भारती को छोटी बहन बताते हुए उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत दबाव डालने का प्रयास कर रही थीं और वो इस मामले को असाइनमेंट के रूप में ले रही थी। उनका साफ कहना है कि कानून बनने तक उनका अनशन जारी रहेगा, भले ही उनके प्राण क्यों न चले जाएं।
दरअसल, उमा भारती केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्वामी सानंद से मुलाकात करने हरिद्वार पहुंची। इस दौरान उमा भारती ने स्वामी सानंद को बताया कि एक्ट का मसौदा पूरी तरह तैयार है और वह संसद के अगले सत्र में कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। इस पर स्वामी सानंद ने कहा कि इसमें कुछ संशोधन है उसे कर कर अध्यादेश के तौर पर तुरंत लागू करा दिया जाए। लेकिन इसको लेकर दोनों के बीच एक राय नहीं बन पार्इ और और देर रात करीब ढाई घंटे चली वार्ता बेनतीजा रही।
गौरतलब है कि उमा भारती पूर्व में स्वामी सानंद को इस संदर्भ में पत्र भी लिख चुकी हैं। लेकिन स्वामी सानंद अध्यादेश के अलावा किसी भी तरह से समझौता नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की प्रतिनिधि उमा भारती को अपना अनशन जारी रखने का इरादा जाहिर कर दिया है। वहीं, उमा भारती ने स्वामी सानंद के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की है और इस बात का विश्वास दिलाया है कि सरकार कानून बनाने के लिए गंभीर है पर कुछ व्यवस्थागत पेचीदगियां हैं, जिन्हें दूर करके संसद के अगले सत्र में इसे कानून बना दिया जाएगा। उन्होंने स्वामी सानंद से सहयोग करने और राष्ट्रीय हित में अपना अनशन समाप्त करने की अपील की। लेकिन स्वामी सानंद ने विनम्रता पूर्वक इसे अस्वीकार कर दिया।
स्वामी सानंद का कहना है कि गंगा और पर्यावरण की राह में जो बाधा है उसे लेकर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की गंगा में कोई रुचि नहीं है। अगर होती तो वे वार्ता को खुद यहां आते ना कि किसी को प्रतिनिधि के तौर पर भेजते। उन्होंने बताया कि गंगा एक्ट को लेकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पूर्व में पत्र भी लिखा। लेकिन उन्होंने जवाब देना तक भी उचित नहीं समझा।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से फोन पर उनकी बात करवाई, जिसमें वो नमामि गंगे की उपलब्धियां गिना रहे थे। उनका कहना है कि इससे गंगा को कोई विशेष फायदा नहीं होने वाला है। साथ ही ये भी बताया कि गडकरी ने उन्हें अक्टूबर-नवंबर के सत्र में एक्ट पास होने का आश्वासन भी दिया। लेकिन उनका कहना है कि जबतक गंगा एक्ट संसद से पास नहीं हो जाता, तबतक उनका अनशन जारी रहेगा।