पाकिस्तान के गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र में शुक्रवार को अज्ञात आतंकवादियों ने 12 स्कूलों में आग लगा दी. पुलिस ने बताया कि इन स्कूलों में ज्यादातर लड़कियों के स्कूल हैं. पाकिस्तानी मीडिया ने दियामर जिले के पुलिस आयुक्त अब्दुल वहीद के हवाले से बताया कि हमलावरों ने दोपहर लगभग दो-तीन बजे के बीच स्कूलों में आग लगाई.
वहीद ने कहा, “हम नहीं जानते कि इसके पीछे कौन है. यहां बहुत कम लोग लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ हैं, जबकि ज्यादातर लोग इसका समर्थन करते हैं. इसके पीछे एक या इससे ज्यादा संगठन हो सकते हैं.” जिन स्कूलों को निशाना बनाया गया, उनमें आठ स्कूल सरकारी थे जबकि चार स्कूल दूर-दराज और पर्वतीय क्षेत्रों में अफगानिस्तान, चीन और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर स्थित गैर लाभकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे थे.
दियामर के पुलिस अधीक्षक रॉय अजमल ने समाचार पत्र डॉन को बताया कि हमलावरों ने किताबों को भी जला दिया. यहां हर स्कूल में औसतन लगभग 200 से 300 लड़कियां रजिस्टर्ड हैं और क्षेत्र में लगभग 3,500 लड़कियां स्कूलों में रजिस्टर्ड हैं. पुलिस अधिकारी ने कहा, “जिले में 2004 से 2011 के बीच भी ऐसे ही हमले हुए थे. गिलगिट-बाल्टिस्तान में साक्षरता दर बेहद कम है.”
मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली एक संस्था की पिछले साल आई रिपोर्ट के अनुसार 2007 से 2015 के बीच पाकिस्तान में कुल 867 शिक्षण संस्थाओं पर हमले हुए, जिनमें 392 लोगों की मौत हो गई और 724 लोग घायल हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, देश में बार-बार शिक्षण संस्थानों पर हमले से शिक्षा, खासकर लड़कियों की शिक्षा को प्रभावित किया जा रहा है. पाकिस्तान में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा शिक्षकों, विद्यार्थियों खासकर छात्राओं पर हमले सामान्य हैं. यहां 2.3 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं.
तालिबानी आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के लिए 2012 में स्वात घाटी में नोबेल पुरस्कार विजेता और शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को गोली मार दी थी.