पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान खान को प्रधानमंत्री पद के लिए चुनौती मिल रही है. पाकिस्तान के दो प्रभावी दलों ने साथ आने की बात कही है. इसके साथ ही वे अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार भी मैदान में उतार रहे हैं. हालांकि इस बात की संभावना कम है कि कुछ छोटे दलों के साथ मिल कर दोनों बड़े दल संभवतः खान के प्रधानमंत्री बनने की योजना की राह में रोड़ा बन सकें, फिर भी उनके एजेंडे पर काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
नेशनल असेंबली की 272 में से 116 सीटों पर चुनाव जीता था. माना जा रहा है कि खान छोटे दलों और निर्दलियों से गठबंधन कर सरकार बनाने लायक बहुमत हासिल कर लेंगे. हालांकि दो मुख्य विरोधी दलों ने गुरुवार को फिर से आरोप लगाया कि शक्तिशाली सेना ने 25 जुलाई को हुए चुनाव में हस्तक्षेप किया. उन्होंने फैसला किया है कि खान के बतौर प्रधानमंत्री के चुनाव कुछ छोटे दलों के साथ वोट करेंगे.
पाकिस्तानी मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की मरियम औरंगजेब ने कहा, ‘यह एक गठबंधन है जो धोखाधड़ी कर हुए चुनावों के खिलाफ है.’ माना जाता है कि विपक्षी गठबंधन को खान के चुनाव को रोकने की संख्या नहीं है.पीएमएल-एन ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावट भुट्टों की अगुवाई वाले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ हाथ मिलाया है.
उनके साथ कुछ और छोटे दल हैं.पीएमएल-एन और पीपीपी ही दो दल हैं जिन्होंने सेना के अलावा इस देश पर ज्यादा दिनों तक शासन किया है. वहीं मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने इमरान खान को समर्थन देने का ऐलान किया है. एमक्यूएम-पी के समन्वयक खालिद मकबूल सिद्दीकी ने बुधवार को जियो न्यूज के एक कार्यक्रम में इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘हां, हम केंद्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए उनके (पीटीआई के) साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं.’ गुरुवार को पीटीआई ने बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) से भी समर्थन मांगा.