नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के मामले में रॉबर्ट वाड्रा को मिली अग्रिम ज़मानत रद्द करने की मांग करने वाली ईडी की याचिका पर फिर सुनवाई टाल दी है। कोर्ट अब इस मामले पर अगली सुनवाई 11 फरवरी को करेगा। 23 दिसम्बर, 2019 को वाड्रा की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से बहस करने के लिए वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी उपलब्ध नहीं हैं। उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। 5 दिसम्बर, 2019 को भी इस पर सुनवाई करने वाले जज के छुट्टी होने की कारण मामले की सुनवाई टल गई थी। 25 नवम्बर, 2019 को भी हाई कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। उसके पहले 5 नवम्बर, 2019 को भी हाई कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। ईडी ने वाड्रा की हिरासत में पूछताछ की मांग की है। 26 सितम्बर, 2019 को सुनवाई के दौरान ईडी ने हाई कोर्ट से कहा था कि वाड्रा की हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है, क्योंकि मनी ट्रेल सीधे-सीधे वाड्रा से जुड़ा हुआ है। ईडी ने जस्टिस चंद्रशेखर की कोर्ट से कहा था कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
ईडी की इस दलील का वाड्रा ने विरोध करते हुए कहा था कि ईडी ने जब भी समन जारी किया, वे जांच में शामिल हुए हैं। ईडी ने जो भी सवाल पूछा है, उसका जवाब दिया गया है। वाड्रा के वकील ने कहा था कि आरोप स्वीकार नहीं करने का यह मतलब नहीं होता है कि आरोपित असहयोग कर रहा है। पिछले 24 सितम्बर को वाड्रा ईडी की याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दायर कर ईडी की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है, क्योंकि ईडी ने उनसे सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। वाड्रा ने कहा था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। बिना समन जारी किए ही वे ईडी के समक्ष पेश हो गए। उनकी विदेश में कोई संपत्ति नहीं है और न ही उन्होंने किसी डील में कोई रिश्वत ली है। ईडी ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं। ईडी का मकसद वाड्रा को लेकर कोर्ट और आम लोगों में केवल भ्रम फैलाना है।