शिशु व बाल स्वास्थ्य को लेकर प्रदेश सरकार गंभीर

स्वास्थ्य इकाई, समुदाय व सिस्टम सभी को मिलकर करने होंगे प्रयास
आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी की क्षमता वृद्धि कार्यक्रम की बेहतरी पर ज़ोर

लखनऊ : प्रदेश में बाल एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत पांच वर्षों में किए गए प्रयासों को साझा करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार को ताज होटल में किया गय। सरकार के प्रतिनिधि, एनएचएम के अधिकारी जिला स्तर के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं तृणमूल स्तर पर कार्य करने वाली स्वास्थ्य कार्यकर्तियों और विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल ने मंथन किया। यूपीटीएसयू द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में नवजात एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर आ रही चुनौतियों और उससे पार पाने के तरीकों पर चर्चा की गई।

स्वास्थ्य सचिव हेकाली जिमोमी ने कहा कि सरकार लगातार मां व बच्चे की सेहत पर ध्यान केन्द्रित किए है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेनोटोबा एवं इंडिया हैल्थ एक्शन ट्रस्ट के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्थ प्रोजेक्ट ने इसको नया आयाम दिया है। उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के बेहतर प्रयासों को अन्य जिलों में भी लागू कर प्रदेश में बाल स्वास्थ्य की स्थिति में और सुधार लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्स एजूकेटर के रूप मे स्वास्थ्य विभाग के परिवार में एक और सदस्य जुड़ गया है जो जमीन पर अच्छा काम कर रहीं हैं। इससे पहले एनएचएम के निदेशक विजय विश्वास पंत ने कार्यक्रम का औपचारिक उदघाटन किया। एनएचएम महाप्रबंधक डॉ वेद प्रकाश ने कहा कि हमें मातृत्व व बाल स्वास्थ्य के बीच समन्यव बढ़ाने की जरूरत है। महिला और पुरुष सरकारी अस्पतालों मे आपस में समन्यव बढ़ाने की भी आवश्यकता है। डॉ वेद के मुताबिक सरकार एसएनसीयू को बेहतर करने जा रही है। इसके अलावा कंगारू मदर केयर (केएमसी) सेंटर बढ़ाने पर विचार चल रहा है।

एनएचएम के महाप्रबंधक (कम्युनिटी प्रोसेस) डॉ राजेश झा ने कहा आशाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उन्हें सिर्फ प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बढ़ाने पर काम कर रही है। इस साल के अंत तक प्रदेश में 3550 वेलनेस सेंटर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि एएनएम को भी स्पोर्ट की जरूरत है। सरकार ने उनके लिए परफार्मेंस आधारित इंसेटिव शुरू किया है। बिल एंड मिलींडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र ने कहा कि वह कई प्रदेशों व तकरीबन 200 जिलों में काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह यूपी में मेडिकल कालेजों का जिला व ब्लॉक स्त्रीय स्वास्थ्य इकाईयों को सहयोग है वह वाकई काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि एनएचएम लगातार डॉक्टर की नियुक्तियों के लिए नवीन प्रयास कर रहा हैं।

स्वास्थ्य निदेशक डॉ ज्ञान प्रकाश ने कहा कि हम कोशिश करेंगे की ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित डॉक्टर व सेवा प्रदाता स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात कर सके ताकि मरीजों को उत्तम सेवाएं मिल सके। उन्होंने कहा कि आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी के बीच समन्यवय बढ़ाया जाएगा। इसके लिए उनकी एक साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक (अर्बन) डॉ. एसके गुप्ता ने कहा कि शहरी क्षेत्र में आशाओं की कमी है। सिर्फ स्लम इलाके में ही आशाएं काम कर रही हैं जिन्हें बढ़ाए जाने की जरूरत है। कार्यक्रम में कई जिलों के सीएमओ व डाक्टरों के अलावा जिला, ब्लाक व समुदाय के लोगों ने भी अपने सुझाव रखे।

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