वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने अपने कर्मचारियों की 25 फीसद तनख्वाह कम करने का फैसला किया है। सूत्रों की मानें तो पायलट और इंजीनियर्स ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
12 लाख रुपये तक सालाना पैकेज वालों की तनख्वाह 5 फीसद और और 1 करोड़ और उससे अधिक के पैकेज वालों की सैलरी 25 फीसद तक कम होगी। सूत्र ने बताया कि पायलटों की सैलरी में लगभग 17 पर्सेंट की कमी होगी।
सूत्रों के मुताबिक, तनख्वाह कम करने के मुद्दे पर जेट एयरवेज प्रबंधन ने कई अलग-अलग सेक्शन के कर्मचारियों से चर्चा की है। इस बीच ऐसी जानकारी सामने आ रही कि जेट एयरवेज के टॉप मैनेजमेंट में काम कर रहे अफसरों की तनख्वाह 25 फीसद कम कर दी गई है। इसमें जनरल मैनेजर या उससे ऊपर के अधिकारी शामिल हैं।
पायलट इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर जेट एयरवेज के सीईओ विनय दुबे के साथ हुई मीटिंग में पायलटों ने तनख्वाह कम किए जाने के प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया है। सूत्रों की मानें तो,” पिछले हफ्ते जेट एयरवेज मैनेजमेंट ने पायलटों की यूनियन नेशनल एविएटर्स गिल्ड के साथ हुई बैठक में सैलरी कम किए जाने के प्रस्ताव पर सहयोग मांगा था।”
प्रबंधन ने पायलटों को बताया है कि मौजूदा वित्तीय स्थिति की वजह से उन्हें 25% वेतन कटौती के फैसले के साथ जाना चाहिए, क्योंकि इंजीनियर्स और दूसरे कर्मचारियों की भी तनख्वाह इसी अनुपात में कम होगी। हालांकि पायलटों की यूनियन ने मैनेजमेंट के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।
सूत्रों की मानें तो इस मसले पर जेट एयरवेज प्रबंधन मुंबई में रहने वाले पायलटों के साथ अलग से आज बात कर सकता है। इस मुद्दे पर इंजीनियर्स भी पायलट के साथ ही खड़े नजर आ रहे हैं और तनख्वाह कम किए जाने का विरोध कर रहे हैं। इस मसले पर दिल्ली में भी पायलटों के साथ एक बैठक हो सकती है।
जेट एयरवेज सैलरी पर सालाना लगभग 3,000 करोड़ खर्च करती है। इस कदम से उसे लगभग 500 करोड़ की बचत होगी। जेट एयरवेज ने पिछले वर्ष अगस्त में इसी तरह का फैसला लेते हुए 350 जूनियर पायलटों की सैलरी और दूसरी सुविधाओं में करीब 30 फीसद की कमी की थी।
जेट एयरवेज ने 2018 में अपने पच्चीस साल पूरे किए हैं। इस साल 31 मार्च तक कंपनी में 16,558 स्थायी कर्मचारी हैं। इसके अलावा कंपनी में 6 हजार से ज्यादा अस्थायी कर्मचारी भी काम करते हैं।