संघ विचारक और तुगलक पत्रिका के संपादक एस. गुरुमूर्ति ने तुगलक पत्रिका की 50वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर जेएनयू पर अपना पुराना रुख दोहराया. चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संपादक से सवाल के दौर में गुरुमूर्ति ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए. गुरुमूर्ति से पूछे गए सवालों में एक सवाल जेएनयू पर भी था.
अपने जवाब में गुरुमूर्ति ने कहा, “हर कोई जानता है कि जेएनयू का डीएनए देश विरोधी है. वे इस पर बात नहीं करते हैं क्योंकि तब उन्हें उदार या धर्मनिरपेक्ष नहीं कहा जाएगा. इसीलिए वे लोग इसे छिपा रहे हैं. जेएनयू को बदलने की जरूरत है और अगर इसे बदला नहीं जा सकता है तो इसे बंद कर देना चाहिए.”
गुरुमूर्ति ने जेएनयू पर अपना हमला जारी रखते हुए आगे यह भी कहा कि जेएनयू को एक संस्था के रूप में 1969 में स्थापित किया गया था ताकि भारत के विचार, परंपरा और आध्यात्मिक ताने-बाने का विरोध किया जा सके.
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गुरुमूर्ति ने इस आयोजन में AIADMK और DMK के घटते महत्व की भी बात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की. उन्होंने अभिनेता रजनीकांत के बारे में भी बात की जिन्हें इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. तुगलक पत्रिका के 50वीं वर्षगांठ के विशेष संस्करण की पहली प्रति रजनीकांत को मिली. गुरुमूर्ति ने कहा, “रजनीकांत अपना कर्तव्य जानते हैं और उसी के अनुसार काम करेंगे.”