अल्पसंख्यक प्रवासियों की सूची बनाने वाला यूपी पहला राज्य
लखनऊ : नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) को लेकर एक तरफ विपक्ष की सियासत जहां जारी है और वह सरकार को इस मुद्दे पर घेरने में जुटा है। योगी आदित्यनाथ सरकार इस मामले में अब आगे की प्रक्रिया में जुट गई है। इसके लिए सीएए के तहत आने वाले शरणार्थियों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध करने की तैयारी है। इस बारे में शासन स्तर पर अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने प्रवासियों को नागरिकता देने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए इस तरह की कार्रवाई शुरू की है। प्रदेश सरकार के मुताबिक अभी तक की जानकारी में सामने आया है कि राजधानी लखनऊ सहित बरेली, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, हापुड़, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में पड़ोसी मुल्कों से आये प्रवासियों की तादाद अन्य जनपदों से ज्यादा है और फिलहाल ये लोग बिना नागरिकता के निवास कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन एक्ट को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के उद्देश्य से अब राज्य के गृह विभाग ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर लम्बे समय से रहने वाले शरणार्थियों को चिह्नित करने के लिए सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
दरअसल सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें इन देशों में धार्मिक कारणों से प्रताड़ित एवं उत्पीड़ित वहां के अल्पसंख्यक समाज ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध, सिक्ख एवं हिन्दू शरणार्थी, जो भारत में 2015 के पहले निवास कर रहे हैं, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक शरणार्थियों की सूची इसलिए बनाई जा रही है, जिससे इसे केंद्रीय गृह विभाग को भेजा जा सके और सीएए के दायरे में आने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का रास्ता खुल सके। हालांकि सरकार की ओर से इस सम्बन्ध में लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन गृह विभाग के निर्देश पर सभी जिलाधिकारी इस कवायद में जुट गए हैं।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के मुताबिक इस सूची के जरिए राज्य सरकार की मदद से वास्तविक प्रवासियों की संख्या सामने आ सकेगी, जिससे उन्हें भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो सकेगा। सरकार राज्य में अवैध मुस्लिम प्रवासियों पर भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारी देगी। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें भी चिन्हित कर सूचीबद्ध किया जाएगा और इसका ब्यौरा भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। केन्द्र सरकार इस सम्बन्ध में नियमानुसार उचित कार्रवाई करेगी।